दो घरों की एक दीवार होना क्यों माना जाता है अशुभ, जानिए वास्तु नियम और समाधान
वास्तु शास्त्र में घर की बनावट, दिशा और संरचना को जीवन की सुख शांति से जोड़ा गया है। यदि किसी घर की दीवार दूसरे घर की दीवार से सटी हो या फिर दोनों मकानों की एक ही साझा दीवार हो, तो इसे वास्तु की दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता। ऐसा माना जाता है कि इस स्थिति का असर घर के वातावरण, मानसिक शांति और पारिवारिक जीवन पर पड़ सकता है। वास्तु से जुड़े इन नियमों को समझकर व्यक्ति जीवन में चल रही कई परेशानियों से राहत पा सकता है।
वास्तु विशेषज्ञ पंडित निलेश शांडिल्य के अनुसार जब दो अलग अलग परिवारों के घरों की दीवार एक होती है या आपस में चिपकी रहती है, तो इससे दोनों घरों के वास्तु संतुलन पर असर पड़ता है। कई बार इसके कारण अनजाने में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाते हैं, जिनका प्रभाव लंबे समय तक बना रह सकता है।
दो घरों की एक दीवार होने से होने वाले नुकसान
ऊर्जा प्रवाह में बाधा
वास्तु के अनुसार घर में सकारात्मक ऊर्जा का मुक्त प्रवाह बहुत जरूरी होता है। जब दो घरों की दीवार एक हो जाती है, तो ऊर्जा का रास्ता बाधित होता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है और घर में तनाव, कलह और असंतोष का माहौल बन सकता है।
वास्तु पुरुष का असंतुलन
हर घर का अपना एक वास्तु पुरुष क्षेत्र होता है। जब एक ही दीवार दो घरों के बीच होती है, तो यह वास्तु पुरुष के क्षेत्र को विभाजित कर देती है। इससे दोनों घरों का ऊर्जा संतुलन बिगड़ सकता है और वास्तु की स्थिरता कमजोर हो जाती है।
मुख्य द्वार से जुड़ी समस्याएं
कई बार मकान के बंटवारे या बदलाव के दौरान मुख्य द्वार की दिशा बदलनी पड़ती है। यदि यह बदलाव वास्तु नियमों के अनुसार न हो, तो सिंहद्वार से जुड़ा दोष उत्पन्न हो सकता है। इसका असर घर के आर्थिक, मानसिक और पारिवारिक पक्ष पर देखा जा सकता है।
दो घरों की एक दीवार होने पर क्या करें
पंडित निलेश शांडिल्य के अनुसार घर की दशा, दिशा और जमीन की ढलान देखकर ही उसकी वास्तु स्थिति तय होती है। दक्षिण, पश्चिम और उत्तर दिशा से पड़ने वाली छाया को आमतौर पर हानिकारक नहीं माना जाता, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पूर्व दिशा से घर पर किसी भी प्रकार की छाया न पड़े। सूर्य की किरणों का अवरोध वास्तु दोष का कारण बन सकता है।
यदि दीवार साझा है, तो सबसे प्रभावी उपाय दोनों घरों की अलग अलग दीवार बनाना माना जाता है। किसी भी प्रकार का निर्माण, दीवार हटाने या नया दरवाजा बनाने से पहले वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी होता है। बिना सही मार्गदर्शन के किया गया बदलाव भविष्य में बड़े वास्तु दोष पैदा कर सकता है।
यदि दो अलग मालिकों के घरों की दीवार एक है या सटी हुई है, तो वास्तु के अनुसार उसमें सुधार करना आवश्यक होता है। दीवार हटाने, घरों को जोड़ने या बीच में दरवाजा बनाने से पहले यह देखना जरूरी है कि घर का ब्रह्म स्थान और ऊर्जा केंद्र प्रभावित न हो। सही सलाह और नियमों का पालन करके ही इन समस्याओं से बचा जा सकता है और घर में फिर से सकारात्मकता लाई जा सकती है।
