देश के आखिरी सती कांड में 37 साल बाद आया फैसला, आठ आरोपी बरी,

Update: 2024-10-09 19:04 GMT

चार सितंबर साल 1987 को 18 साल की उम्र में रूप कंवर ने अपने पति के साथ खुद को जला लिया था। पति की चिता पर लेटकर खुद के प्राण त्यागने वाले देश के आखिरी सती कांड में बुधवार को कोर्ट का फैसला आया। राजस्थान के सीकर जिले में रूप कंवर की मौत को देश के आखिरी सती कांड के रूप में जाना जाता है। उनकी शादी को तब केवल सात महीने ही हुए थे। 37 साल पुराने दिवराला सती प्रकरण में बुधवार को जयपुर की एक विशेष अदालत ने आठ आरोपियों को दोष मुक्त करार दिया।

बता दें कि स्थानीय पुलिस ने रूप कंवर के इस कदम को महिमामंडित करने वाले लोगों पर मुकदमा कर दिया। इस मामले में अब तक 11 लोग बरी हो चुके हैं, जिनमें बीजेपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़ का नाम भी शामिल था।सती प्रथा को महिमामंडित करने का था आरोप

विशिष्ट न्यायालय सती निवारण जयपुर द्वितीय ने यह फैसला सुनाया। आरोपियों की ओर से एडवोकेट अमनचैन सिंह शेखावत ने पैरवी की थी। इस मामले में कोर्ट ने महेंद्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह सहित आठ आरोपियों को बरी कर दिया है। रूप कंवर की मौत को सती प्रथा के रूप में महिमामंडित किया गया था।

बता दें कि रूप कंवर की मौत के बाद देश में सती प्रथा से संबंधित कानून बनाया गया और ऐसे मामलों के निपटारे के लिए विशेष कोर्ट का भी गठन किया गया। आजादी के बाद राज्य में इस तरह के 29 मामले सामने आए थे।

घटना स्थल पर ईंट रखकर चुनरी चढ़ाने लगे थे लोग

रूप कंवर सती कांड में चार सितंबर 1987 को 18 साल की उम्र में रूप ने पति माल सिंह शेखावत की चिता पर लेटकर खुद को जला लिया था। उनकी शादी को तब केवल सात महीने ही हुए थे। स्थानीय लोगों ने उनकी मौत के बाद घटना स्थल पर ईंट रखकर चुनरी चढ़ाने लगे थे। साथ ही ऐसी धार्मिक क्रियाएं करने लगे, जो रूप कंवर को सती के रूप में महिमामंडित करती हैं।

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