बढ़ती वैश्विक भूख के अनुरूप पशु उत्पादन में भी करनी होगी वृद्धि
उदयपुर, । बढ़ती हुई जनसंख्या की विश्व स्तर पर चिंता जाहिर की जाती है किन्तु बढ़ती जनसंख्या के साथ उनको उपलब्ध कराये जाने वाले आहार के दबाव की ओर हमें ध्यान केन्द्रित करना होगा। अतः पशु प्रोटीन की निरन्तर बढ़ती हुई मांग की चुनौती को सहर्ष स्वीकार करते हुए इसके अनुरूप कार्य योजना बनानी होगी। यह संबोधन पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने पशु उत्पादन की संभावना एवं चुनौतियां विषयक संगोष्ठी में दिये। इस अवसर पर डॉ. छंगाणी ने कहा कि वर्तमान में हमें पशुपालन में व्याप्त नवीनतम तकनिकीयों को अपनाकर प्रति पशु प्रतिदिन उत्पादन में वृद्धि करने को चुनौती के रूप में स्वीकार करना होगा। प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ० छंगाणी ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ आज पूरा विश्व वैश्विक भूख से जुझ रहा है, जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ वैश्विक भूख भी बढती जा रही है। भारत देश भी इससे अछुता नही है। यहाँ भी कुपोषण एवं भुख महामारी की वृद्धि दर अन्य देशों की तुलना में अधिक है। केन्द्र सरकार की एक रिर्पोट के अनुसार मानव के कुल आहार आपूर्ति में 31 से 33 प्रतिशत का योगदान पशु उत्पादन का होता है। पशुपालन व्यवसाय की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये इनपुट का कम से कम उपयोग करते हुये आउटपुट अधिक से अधिक लेना होगा इसके लिये पशु चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त नवीन तकनीकी जैसे हीट सिनकोनाइजेशन, भ्रूण प्रत्यारोपण, सेक्स निर्धारित वीर्य, मशीनरी मिल्कींग मैथड जैसी तकनिकीयों को शीघ्र ही ग्राम स्तर तक अपनाने के प्रयास करने होगें। इस अवसर पर डॉ. पद्मा मील एवं श्री पन्नालाल शर्मा ने विश्व जनसंख्या दिवस पर विस्तृत जानकारी देते हुए तकनीकी कार्यों को दक्षता एवं कौशल के साथ करने पर जोर दिया।