पीएम-कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प संयंत्र स्थापना की तरफ बढ़ने लगा किसानों का रूझान

Update: 2024-10-10 08:44 GMT

चित्तौड़गढ़। किसानों को अब बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र की योजना प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान कंपोनेंट-‘‘बी‘‘ के अंतर्गत किसानों को 3, 5 व 7.5 एचपी क्षमता तक स्टैंड अलोन सौर ऊर्जा पंप संयंत्र अनुदान पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसान 10 एचपी क्षमता के सोलर पंप संयंत्र भी लगा सकते हैं परंतु अनुदान सहायता 7.5 एचपी तक ही देय होगा। जिले को सामान्य श्रेणी में 750, अनुसूचित जाति में 150 एवं अनुसूचित जनजाति में 100 सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना के लक्ष्य प्राप्त हुए हैं। वरीयता अनुसार अनुदान पहले आओ पहले पाओ के आधार पर प्रशासनिक स्वीकृत जारी की जायेगी। अब तक 1000 लक्ष्यों के विरूद्ध 280 कृषकों द्वारा कृषक हिस्सा राशि जमा कराई 170 कृषकों के यहां सोलर पम्प संयंत्र की स्थापित किये जा चुके हैं।

उद्यान विभाग के उप निदेशक डॉ.शंकर लाल जाट ने बताया कि किसान वं राजकिसान साथी पोर्टल पर ई-मित्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए किसान के पास कम से कम 0.4 हेक्टेयर एवं अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के जनजाति कृषक के 0.20 हेक्टेयर जमीन होना आवश्यक है। आवेदन करते समय जमाबंदी/नकल (06 माह से ज्यादा पुरानी नहीं), बिजली कनेक्शन नही होना का एवं सिंचाई जल स्त्रोत का शपथ पत्र, जन आधार कार्ड जरूरी है।

कृषकों को 60 प्रतिशत अनुदान देय होगा। अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति के कृषकों को 45 हजार रुपए अतिरिक्त अनुदान देय होगा। एवं अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के जनजाति कृषकों को 3 व 5 एचपी के सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र निःशुल्क लगाये जाते है।

किसानों को बस इतना हिस्सा वहन करना होगा- 3 एचपी सोलर पंप लगवाने हेतु कृषक हिस्सा राशि 101124 रुपये एवं अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति के कृषकों को 56124 रुपये और 5 एचपी सोलर पंप लगवाने हेतु कृषक हिस्सा राशि 129221 रुपये एवं अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति के कृषकों को 84221 रुपये और 7.5 एचपी AC एवं DC क्रमसः सोलर पंप लगवाने हेतु कृषक हिस्सा राशि 181437, 214638 रुपये एवं अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति के कृषकों को 136437, 169638 रुपये एवं 10 एचपी सोलर पंप लगवाने हेतु कृषक हिस्सा राशि 342555 रुपये एवं अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति के कृषकों को 297555 रुपये रुपये वहन करना होगा।

अधिक जानकारी के लिये जिला कार्यालय या अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक से सम्पर्क करें। 

Similar News