चित्तौड़गढ़, ।जिले में रबी फसल 2025 के अंतर्गत गेहूं की बुवाई एक साथ होने के कारण यूरिया उर्वरक की मांग में वृद्धि हुई है। माह अक्टूबर में जिलेभर में हुई अच्छी वर्षा के चलते किसानों द्वारा व्यापक स्तर पर गेहूं की बुवाई की गई है। गत वर्ष गेहूं का क्षेत्रफल 1,40,150 हेक्टेयर था, जबकि रबी 2025 में अब तक 1,55,110 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई हो चुकी है, जिससे यूरिया की मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ी है।
रबी 2025 में जिले की कुल अनुमानित मांग 55,500 मैट्रिक टन यूरिया के विरुद्ध अब तक लगभग 46,000 मैट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति हो चुकी है। जिले में यूरिया की आपूर्ति निरंतर जारी है। हाल ही में इफको की एक रैक प्राप्त हो चुकी है तथा इसी सप्ताह 1–2 अतिरिक्त रैक और प्राप्त होने की संभावना है।
किसानों को सलाह दी गई है कि वे आवश्यकता अनुसार ही उर्वरक का क्रय करें तथा तरल नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का अधिक उपयोग करें, जिससे पौधों को नाइट्रोजन की सटीक मात्रा प्राप्त हो सके। उल्लेखनीय है कि यूरिया में नाइट्रोजन की उपयोगिता लगभग 30 प्रतिशत ही होती है, शेष मात्रा भूमि या वायुमंडल में नष्ट हो जाती है।
जिले में यूरिया की सुचारु आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे हैं। उर्वरक विक्रेताओं से अनुरोध किया गया है कि वे उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के प्रावधानों का पूर्ण पालन करते हुए किसानों को उर्वरक का विक्रय करें। किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
गुण नियंत्रण अभियान के अंतर्गत निर्धारित 366 नमूनों के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 2,508 उर्वरक नमूने लिए जा चुके हैं। जिले में 583 उर्वरक विक्रेताओं का निरीक्षण किया गया, 72 विक्रेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए तथा 16 उर्वरक अनुज्ञा पत्र निलंबित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त 3 प्रकरणों में पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई है। प्रयोगशाला द्वारा अमानक घोषित उर्वरकों के मामलों में संबंधित विक्रेताओं के विरुद्ध माननीय न्यायालयों में 21 इस्तगासे भी दायर किए गए हैं।
