सांवलिया सेठ मंदिर निधि से 18 करोड़ जारी करने का प्रस्ताव रद्द, खर्च रोकने के आदेश

Update: 2025-11-19 08:43 GMT

चित्तौड़गढ़। सांवलियाजी मंदिर मंडल की ओर से मातृकुंडिया तीर्थ स्थल के विकास के लिए 18 करोड़ रुपए की राशि जारी करने को लेकर 12 अप्रेल 2018 को लिया गया प्रस्ताव सिविल न्यायालय मंडफिया ने निरस्त घोषित कर दिया है। न्यायालय ने मंदिर मंडल अधिनियम 1992 की धारा 28 के प्रतिकूल पाए जाने पर प्रस्ताव को अमान्य ठहराते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी व सांवलिया मंदिर मंडल ट्रस्ट के अध्यक्ष को स्थायी निषेधाज्ञा से प्रतिबंधित किया है कि वे प्रस्ताव के अनुसार मंदिर निधि से किसी भी प्रकार की राशि खर्च या जारी नहीं करें। जो राशि पहले ही जारी की जा चुकी है, उसे वापस मंदिर मंडल के खाते में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं।

ये है पूरा मामला

जानकारी के अनुसार मंडफिया निवासी मदनलाल जैन सहित करीब आधा दर्जन लोगों ने नवंबर 2018 में सिविल न्यायालय मंडफिया में सांवलियाजी मंदिर मंडल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, अध्यक्ष सहित कुल 49 लोगों के खिलाफ जनहित वाद दायर किया था। वाद में बताया गया कि मंदिर की व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 1992 में सांवलियाजी मंदिर मंडल अधिनियम लागू किया था। भगवान सांवलिया सेठ के भंडार से प्राप्त धन राशि से श्रद्धालुओं व यात्रियों के ठहरने की सुविधा, आसपास के 16 गांवों से सांवलियाजी तक सड़क निर्माण, शिक्षण संस्थाओं का विकास तथा अक्षरधाम की तर्ज पर परिसर विस्तार सहित कुल 39 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिनकी अनुमानित लागत ढाई से तीन अरब रुपए तक बताई गई है।

वाद में यह भी उल्लेख किया गया कि मंदिर मंडल की जनहित योजनाएं लंबित होने के बावजूद परिक्षेत्र के 16 गांवों को छोड़कर बाहरी गांवों में 47 लाख रुपए के कार्यों को स्वीकृति दे दी गई, जबकि देवस्थान विभाग ने स्पष्ट किया था कि ऐसे कार्य नहीं करवाए जा सकते। आरोप लगाया गया कि प्रतिवादीगण मंदिर मंडल अधिनियम का उल्लंघन करते हुए भंडार की राशि में से 18 करोड़ रुपए मातृकुंडिया की सरकारी योजनाओं में देने के लिए प्रयासरत थे तथा मंदिर की राशि का दुरुपयोग करते हुए अन्य कार्यों में खर्च कर दी गई।

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