बड़ी कार्रवाई,: किडनी प्रत्यारोपण के मामले में दो चिकित्सक और एक नर्सिंग कर्मी बर्खास्त

Update: 2024-05-12 01:30 GMT

जयपुर।  पुलिस ने  फर्जी एनओसी के आधार पर अंग प्रत्यारोपण और किडनी प्रत्यारोपण के मामले में दो चिकित्सकों डा. संदीप गुप्ता और डा. जितेंद्र गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया है।

जांच में सामने आया है कि निजी अस्पतालों ने दलालों के माध्यम से बांग्लादेश व नेपाल के गरीब लोगों से संपर्क साधकर किडनी दान करने का लालच देते थे। इसके बदले उन्हें एक से डेढ़ लाख रुपये दिए जाते थे। जिन मरीजों को किडनी प्रत्यारोपित की जाती थी उनसे दस से बारह लाख वसूले जाते थे।किडनी दान करने वालों को अपने जाल में फंसाने वाले गिरफ्तार

अब तक आधा दर्जन गिरफ्तारीइस मामले में एसीबी ने प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह, फोर्टिस अस्पताल के समन्वयक विनोद सिंह, ईएचसीसी अस्पताल के समन्वयक गिरिराज शर्मा, अंग विशेषकर किडनी दान करने वालों को अपने जाल में फंसाने वाले सुमन जाना और सुखमय नंदी को पिछले दिनों गिरफ्तार किया था।

बांग्लादेश, बंगाल व नेपाल से लोगों को अपने जाल में फंसाकर यहां लाने वाले मोहम्मद मुर्तजा अंसारी और राज कमल की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। दोनों फिलहाल फरार हैं। सरकार ने फोर्टिस व ईएचसीसी अस्पताल के अंग प्रत्यारोपण लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं। दोनों अस्प्तालों में अंग प्रत्यरोपण करने वाले चिकित्सक डा. ज्योति बंसल, डा. जितेंद्र गोस्वामी, डा. राजेंद्र गरसा एवं डा. एके गुप्ता से एक बार फिर पूछताछ होगी। इनसे पूर्व में भी पूछताछ हो चुकी है।

दो अन्य चिकित्सकों को बर्खास्त किया गया

उल्लेखनीय है कि फर्जी एनओसी के मामले में सरकार ने राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्विघालय के कुलपति डा. सुधीर भंडारी का इस्तीफा लेने के साथ ही एसएमएस मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा.राजीव बगरहट्टा एवं अधीक्षक डा. अचल शर्मा को बर्खास्त कर दिया है। राज्य सरकार ने एनओसी देने के लिए एसएमएस अस्पताल के स्तर पर एक कमेटी गठित कर रही है। कमेटी की लापरवाही के कारण भंडारी से इस्तीफा लेने के साथ ही दो अन्य चिकित्सकों को बर्खास्त किया गया है।


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