ऊंट पालकों की प्रोत्साहन राशि दस हजार से बढ़ाकर की बीस हजार

Update: 2024-10-16 12:53 GMT

जयपुर । ऊंट पालकों के लिए सरकार ने ऊंट पालन प्रोत्साहन राशि दस हजार से बढ़ाकर बीस हजार रुपए कर दी है। अब शिशु ऊंट के जन्म पर उसके एक वर्ष का होने तक की अवधि में 20 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। गत बजट घोषणा में ऊंट पालन को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने पिछले कई सालों से दी जा रही प्रोत्साहन राशि 10 हजार को बढ़ाकर 20 हजार करने की घोषणा की थी। बजट घोषणा के अनुरूप सरकार ने इसकी 15 अक्टूबर को प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी है।

प्रदेश ही नहीं, देश में भी ऊंटों की संख्या तेजी से घटने लगी थी। स्थिति यह थी कि सरकारी नीतियों के कारण पहले ही प्रदेश में हुई वर्ष 2012 की पशु गणना में राज्य में 3 लाख 25 हजार 713 ऊंट थे, वहीं 20 वीं पशु गणना में ऊंटों की संख्या घटकर 2 लाख 12 हजार 739 रह गई। प्रदेश में ऊंटों की संख्या एक लाख 12 हजार 974 कम हो गई। इसका कारण बताते हैं कि पूर्व में ऊंट पालन के लिए मिल रही प्रोत्साहन राशि महज 10 हजार की राशि अपर्याप्त थी। इससे डेढ़ से दोगुना ज्यादा ऊंट पालकों का शिशु ऊंट के जन्म होने के साथ ही एक वर्ष के पालन तक में ही व्यय हो जाता था। ऐसे में इसको लेकर प्रदेश के विभिन्न जिलों से ऊंट पालकों की ओर से प्रोत्साहन राशि को बढ़ाने का अनुरोध किया जा रहा था। अब सरकार की ओर से शिशु ऊंट के जन्म पर प्रोत्साहन राशि दोगुनी होने से उम्मीद की जा रही है कि ऊंटों के कुनबों में इजाफा होगा।

राजस्थान में कई नस्लों के ऊंट पाए जाते हैं। इनमें से मुय नाचना और गोमठ ऊंट हैं। नाचना नस्ल के ऊंट सवारी या तेज दौडऩे वाले होते हैं, जबकि गोमठ ऊंट कृषि संबंधी या भारवाहक के रूप में काम में लिया जाता है। इसके अलावा अलवरी, बाड़मेरी, बीकानेरी, कच्छी, सिंधु, मेवाड़ी और जैसलमेरी ऊंट की नस्लें भी राजस्थान में मिलते हैं।

Similar News