दुर्लभ बीमारी से पीडि़त बच्चों का 50 लाख तक का उपचार निशुल्क

Update: 2025-01-15 07:11 GMT

जयपुर । प्रदेश में अब दुर्लभ बीमारी से पीडि़त बच्चों का उपचार सरकार की ओर से नि:शुल्क करवाया जाएगा। मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना में दुर्लभ बीमारी से पीडि़त 0 से 18 वर्ष तक बच्चों को 50 लाख रुपए तक के नि:शुल्क उपचार की सुविधा मिलेगी। अच्छी बात यह है कि बीमार को हर माह पांच हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।

प्रदेश में अब दुर्लभ बीमारी से पीडि़त बच्चों का उपचार सरकार की ओर से नि:शुल्क करवाया जाएगा। मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना में दुर्लभ बीमारी से पीडि़त 0 से 18 वर्ष तक बच्चों को 50 लाख रुपए तक के नि:शुल्क उपचार की सुविधा मिलेगी। अच्छी बात यह है कि बीमार को हर माह पांच हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।

विभाग ने प्रदेश के सभी सीएमएचओ को जिले में दुर्लभ बीमारियों से पीडि़त बच्चों को चिह्नित करने व इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करने के निर्देश दिए हैं। दुर्लभ बीमारियों में राष्ट्रीय नीति 2021 में सूचीबद्व बीमारियां शामिल की जाएगी। योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में दुर्लभ बीमारियों से पीडि़त बच्चों के इलाज, देखभाल व आवश्यक सुविधाओं के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर उनके परिवार को संबल देना है। योजना की मॉनिटङ्क्षरग सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक करेंगे। किसी भी असामान्य मामले में नियमों की शिथिलता के अधिकार विभाग को दिए गए हैं।

पात्रता और शर्तें

योजना का लाभ 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मिलेगा। पात्रता के लिए राजस्थान का मूल निवासी होना व पिछले तीन साल से प्रदेश में निवासरत होना जरूरी है। बीमारी के लिए सक्षम चिकित्सा अधिकारी की ओर से दुर्लभ बीमारी का प्रमाणन जरूरी है। यह सहायता बीमारी के इलाज के लिए दी जाएगी व अन्य योजनाओं के तहत भी लाभ लिया जा सकेगा। पीडि़त बच्चे के बीमारी से ठीक होने या उसकी मृत्यु होने पर सहायता राशि नहीं दी जाएगी। दुर्लभ बीमारियों का प्रमाणन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जोधपुर व जेके लोन अस्पताल जयपुर के सक्षम अधिकारी करेंगे।

इस तरह कर सकते हैं आवेदन

आवेदनकर्ता को अपनी जानकारी व आवश्यक दस्तावेज जनाधार पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। आवेदन सही पाए जाने पर इसे संबंधित चिकित्सा संस्थान को भेजा जाएगा। बच्चों का चिकित्सा परीक्षण प्राधिकृत संस्थान में होगा, जिसके आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा पालनकर्ता व बच्चे के जीवित होने का वार्षिक सत्यापन जरूरी है। सत्यापन ई-मित्र केंद्र या जिला कार्यालय के माध्यम से किया जा सकेगा। सत्यापन नहीं होने पर अगले वर्ष का भुगतान रोका जाएगा, जो सत्यापन के बाद एरियर सहित जारी किया जाएगा। आर्थिक सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से पालनकर्ता के बैंक खाते में जमा की जाएगी। भुगतान प्रक्रिया व अन्य सभी जानकारी एसएमएस के जरिए आवेदनकर्ता को दी जाएगी।

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