मनरेगा के कामों में पारदर्शिता के लिए राजस्थान में ई-एमबी लागू करने की तैयारी, इंजीनियरों की जवाबदेही होगी तय
जयपुर। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत होने वाले कामों में पारदर्शिता लाने और अनियमितताओं को रोकने के लिए अब ई-एमबी (ई-मेजरमेंट बुक) व्यवस्था लागू की जा रही है। राजस्थान सरकार ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। इस नई व्यवस्था के तहत निर्माण कार्यों का मूल्यांकन ऑनलाइन किया जाएगा, जिससे पहली बार इंजीनियरों की भी जवाबदेही तय हो सकेगी। मनरेगा आयुक्त पुष्पा सत्यानी ने इस बारे में विस्तार से बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) के निर्माण कार्यों का मूल्यांकन डिजिटल रूप में किया जाएगा।
क्या है ई-एमबी व्यवस्था : ई-एमबी यानी ई-मेजरमेंट बुक व्यवस्था के तहत, निर्माण कार्यों का मूल्यांकन डिजिटल रूप से किया जाएगा। अब इंजीनियरों को मौके पर किए गए कार्य का आकलन करके 7 दिन के भीतर इसे मनरेगा सॉफ़्ट पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इस प्रक्रिया के बाद ही मजदूरी और सामग्री भुगतान संभव होगा।
ई-एमबी से कैसे होगा सुधार : इंजीनियरों को तय समय में मूल्यांकन पूरा करना होगा। इससे देरी और तारीखों में हेराफेरी की संभावना खत्म होगी। ई-एमबी पोर्टल पर अपलोड की गई जानकारी कोई भी देख सकता है। इससे मौके पर हुए काम और किए गए भुगतान के बीच का अंतर स्पष्ट होगा। ऑनलाइन प्रक्रिया और जियोटैगिंग की मदद से यह सुनिश्चित होगा कि काम सही तरीके से और तय समय पर पूरा हुआ है।
अभी तक निर्माण कार्यों का मूल्यांकन ऑफलाइन किया जाता था। इसमें देरी और हेराफेरी के मामले सामने आते थे। अनियमितताओं की गाज आमतौर पर रोजगार सहायक, सचिव और सरपंच पर गिरती थी। अब ई-एमबी लागू होने से इन चुनौतियों का समाधान होगा।
अन्य बड़े बदलाव : कार्यस्थल की स्थिति और प्रगति का आकलन अब जियोटैग के माध्यम से किया जाएगा। मनरेगा के तहत अब कच्चे निर्माण कार्य बंद कर दिए गए हैं। पांच साल से पहले कोई भी काम दोबारा नहीं किया जाएगा। मजदूरी और सामग्री का भुगतान अब ई-एमबी में दर्ज जानकारी के आधार पर ही होगा।
ओडिशा, कर्नाटक, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पहले से ही ई-एमबी व्यवस्था लागू है और इसका सकारात्मक असर देखा गया है। राजस्थान में भी इस मॉडल को अपनाकर कार्यों में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया जा रहा है।
ई-एमबी जैसी आधुनिक व्यवस्था मनरेगा के कामों को और अधिक पारदर्शी, प्रभावी और जवाबदेह बनाएगी। इससे ग्रामीण विकास की दिशा में नए मानक स्थापित होंगे और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।