जयपुर में भैरोंसिंह शेखावत स्मारक पुस्तकालय उद्घाटन पर उपराष्ट्रपति बोले- ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखी भारत की ताकत

By :  vijay
Update: 2025-05-16 06:14 GMT
जयपुर में भैरोंसिंह शेखावत स्मारक पुस्तकालय उद्घाटन पर उपराष्ट्रपति बोले- ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखी भारत की ताकत
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देश के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में जयपुर में बने भव्य स्मारक पुस्तकालय का गुरुवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उद्घाटन किया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में शेखावत को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस मौके पर अपने भावुक संबोधन में शेखावत को न केवल अपना मार्गदर्शक बताया बल्कि उन्हें भारतीय राजनीति का वटवृक्ष भी कहा। उन्होंने कहा कि भैरोंसिंह शेखावत राजनीति के अजातशत्रु थे। उनके जीवन में मर्यादा, विवेक और लोकतांत्रिक मूल्यों की मिसाल आज भी प्रेरणा देती है। उन्होंने घोषणा की कि संसद की लाइब्रेरी को इस स्मारक पुस्तकालय से जोड़ा जाएगा और संविधान की आधिकारिक प्रतिलिपि यहां भेंट की जाएगी।

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व स्तर पर एक नया मानदंड स्थापित किया और शांति के भाव को बनाए रखते हुए, आतंक पर सटीक प्रहार किया। पहली बार अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार जाकर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों पर सटीक प्रहार किया और दुनिया में किसी ने प्रमाण नहीं मांगा। पूरी दुनिया ने भारत की शक्ति को देखा।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने भी भैंरोसिंह जी को पूरे राष्ट्र के नेता बताते हुए कहा कि उनका जीवन भारतीय राजनीति में उच्चतम मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि शेखावत ने दलगत सीमाओं से ऊपर उठकर लोकतंत्र को सशक्त किया और जनसंघ से लेकर उपराष्ट्रपति पद तक की यात्रा में निरंतर जनता के लिए समर्पित रहे। उन्होंने यह भी कहा कि यह पुस्तकालय केवल भवन नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक विचारों और मूल्यों की जीवंत विरासत है।

कार्यक्रम में डॉ. कल्याण सिंह शेखावत खिरोड द्वारा भैरोंसिंह शेखावत के जीवन पर लिखी पुस्तक भारत के माथे का चंदन का भी विमोचन किया गया। इस मौके पर राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे, वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, बुद्धिजीवी और भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे। उद्घाटन समारोह ने स्पष्ट किया कि शेखावत की स्मृति न केवल राजस्थान, बल्कि समूचे भारत की राजनीतिक चेतना का हिस्सा है।

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