दशकों तक सेवा देने वाले अस्थायी कर्मचारियों को मिलेगा नियमितीकरण का लाभ, हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

Update: 2025-12-10 10:26 GMT

जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी कर्मचारी को दशकों तक सेवा लेने के बाद केवल अस्थायी बताकर नियमितीकरण के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस रेखा बोराणा की सिंगल बेंच ने भीलवाड़ा के सत्यनारायण शर्मा समेत अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह ऐतिहासिक आदेश जारी किया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को उनकी शुरुआती नियुक्ति की तारीख से नियमित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी माना जाए और उन्हें पेंशन सहित सभी सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान किए जाएं।

याचिकाकर्ताओं ने करीब 40 साल तक निरंतर सेवा दी थी, लेकिन उन्हें नियमित नहीं किया गया। शर्मा को 1981 में पंचायत समिति लूणकरणसर में अस्थायी गेट कीपर नियुक्त किया गया था, बाद में वे चुंगी नाका रक्षक बने। राज्य में चुंगी समाप्त होने के बाद भी 1998 में सरकार ने छंटनी नहीं करने का आदेश दिया और वे ग्राम पंचायत में लगातार कार्यरत रहे। 2007 और 2016 में जारी आदेशों के बावजूद उनका नाम समायोजन सूची में नहीं आया।

सुनवाई के दौरान सरकार ने तर्क दिया कि नियुक्ति नियमित प्रक्रिया से नहीं हुई थी, इसलिए नियमितीकरण का दावा नहीं बनता। कोर्ट ने कन्हैयालाल नाई मामले का हवाला देते हुए यह दावा खारिज किया और आदेश दिया कि सभी संबंधित 10 कर्मचारियों को भी इस निर्णय का लाभ मिलेगा। हालांकि वेतन निर्धारण के आधार पर एरियर का दावा करने का अधिकार नहीं होगा।

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