करोड़ों का कारोबार छोड़ धर्म की राह पर,, उदयपुर में तीन जैन श्रावक लेंगे दीक्षा,
**उदयपुर।**
धर्म की डगर कठिन जरूर है, लेकिन जब आत्मा की आवाज़ बुलाती है तो सांसारिक मोह-माया सब फीकी पड़ जाती है। करोड़ों का कारोबार और ऐशो-आराम की ज़िंदगी छोड़कर अब तीन जैन श्रावक आत्मिक शांति की तलाश में निकल पड़े हैं।
आचार्य **पुण्यसागर महाराज** के चातुर्मास में ये तीनों **5 अक्टूबर को दीक्षा ग्रहण** करेंगे। कार्यक्रम की तैयारियां विद्या निकेतन स्कूल (सेक्टर 4) में जोर-शोर से चल रही हैं।
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### तीनों दीक्षार्थी — तीन शहर, एक संकल्प
* **आदर्श कुमार जैन**, फरीदाबाद (हरियाणा)
* **अरविंद कोटड़िया**, मुंबई निवासी
* **देवीलाल भोरावत**, उदयपुर मूल के, वर्तमान में मुंबई में
इनमें से एक व्यवसायी की पत्नी ने **चार साल पहले दीक्षा ली थी**, और अब वे स्वयं अपने **तीन बेटों और गृहस्थ जीवन** को छोड़कर धर्ममार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं।
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### शोभायात्रा आज शाम
आज शाम **6 बजे दीक्षार्थियों की शोभायात्रा और गोद भराई** का कार्यक्रम होगा। इससे पहले शुक्रवार को **हल्दी और मेहंदी की रस्में** पूरी की गईं। शनिवार को दीक्षा के लिए पूरा परिसर वैराग्य और भक्ति में डूबेगा।
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### संयम की राह पर कदम
तीनों दीक्षार्थियों ने कहा —
> “हमने व्यापार में बहुत पाया, लेकिन आत्मिक सुख नहीं मिला। अब जीवन का लक्ष्य केवल शांति और आत्म साक्षात्कार है।”
आचार्य पुण्यसागर महाराज के सान्निध्य में दीक्षा ग्रहण कर ये तीनों अब सांसारिक जीवन से पूर्ण विराम लगाकर संयम, साधना और सेवा के पथ पर अग्रसर होंगे।
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📿 *धन, पद और परिवार छोड़ने का यह निर्णय भले कठिन हो, लेकिन यही सच्चा वैराग्य है। उदयपुर इस ऐतिहासिक दीक्षा का साक्षी बनने जा रहा है।*
