मेवाड़ मारवाड़ की सीमा पर बना 152 ऊंचा झरना
राजसमंद (राव दिलीप सिंह)प्रकृति प्रेमियों को यदि राजस्थान में ही हिमांचल और उत्तराखंड जैसा अहसास हो जाए, तो कैसा रहे। बारिश में अरावली की पहाड़ियां आपको एसा ही अहसास करवाने में सक्षम हैं। कामलीघाट, देवगढ़ से लगभग 5 किमी दूर कालीघाटी रोड पर ही है अरावली के पहाड़ों में बहने वाला सबसे ऊंचा झरना। राजस्थान के बारे में ऐसे ही नहीं कहा जाता कि 'जाने क्या दिख जाए'।करीब 55 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाला 'भील बेरी का झरना' प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। दरअसल ये पूरा इलाका ही किसी हिल स्टेशन जैसा लगता है। जहां हर साल मानसून में हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। यहां का वन्यजीवन हमेशा से ही वन्यजीव प्रेमियों और इसमें रुचि रखने वालों के लिए कौतूहल का केंद्र रहा है।मगरा क्षेत्र में हुई तेज बारिश से मारवाड़ व मेवाड़ की सरहद पर स्थित पर्यटक स्थल भील बेरी पर झरने चलने लगे। इस वर्ष शुक्रवार को अरावली क्षेत्र में अच्छी बारिश होने से क्षेत्र का सबसे बड़ा पर्यटक स्थल भील बेरी पर 182 फीट की ऊंचाई पर झरना बहना लगा।झरना एक बार शुरू होने के बाद करीब 2 महीने तक अनवरत बहता रहता है। यह झरना सिरियारी थाना क्षेत्र के करमाल चौराहा से करीब पांच किमी दूर है। यह क्षेत्र वैसे तो राजसमंद जिले में वन विभाग की ओर से अरावली टॉडगढ़-रावली सेंचुरी में शामिल किया गया है।लेकिन भील बेरी का झरना पाली जिले के भगोड़ा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है।भील बेरी झरना राजस्थान का सबसे ऊंचा झरना है। इस स्थान को राजस्थान का दूध सागर भी कहा जाता है।
मारवाड़ जंक्शन से राणावास होते हुए सड़क मार्ग से करमाल चौराहा तक आने के बाद कामली घाट रोड पर 5 किलोमीटर दूर यह झरना स्थित है। जहां वन विभाग ने चौकी लगा रखी है। जबकि जंगल के रास्ते जाने के लिए गेट लगा रखा है। यहां जंगल से पहाड़ी के दुर्गम टेढ़े-मेढ़े रास्ते से पहुंचा जा सकता है। प्रकृति की वादियों में बसा यह स्थान चेन्नई एक्सप्रेस के दूध सागर जैसा लगता है। यहां आने पर आपको उत्तराखंड का एहसास होता हैं। भील बेरी को राजस्थान का मेघालय कहा जाता है। राजस्थान में हजारों लोग इस स्थान पर घूमने आते हैं। इस स्थान को राजस्थान का दूध सागर भी कहा जाता है। यह झरना जितनी ऊंचाई से घिरता है, वो देखने पर ऐसा ही लगता है कि यह दूध सागर है।