तप में इतनी शक्ति है कि कई अशुभ कर्म भी समाप्त कर देता है : बालयोगी मुनि श्रुतधरनंदी

Update: 2024-10-14 10:49 GMT

उदयपुर। गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुल्लक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के आयोजन की धूम जारी है।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत व चातुर्मास समिति के विजयलाल वेलावत व हेमेन्द्र वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज ने कहा कि तपस्या करते समय बिना पूछे कुछ भी नहीं लेना चाहिए। तपस्या करते समय आसक्ति में नहीं होना चाहिए। ये सब कार्य करके की जाने वाली तपस्या से कर्मो की निर्जरा होकर मन की हर मुराद पूरी होती है। ऐसा तप का मार्ग जो साधक अपनाते वह बहुत जल्द मुक्त हो जाते है। जो इच्छा हुई उसका निरोध करना तप कहलाता है। मुनिश्री ने कहा कि मंजिल तक पहुंचाने वाला पराक्रम सम्यक पराक्रम और मंजिल से भटकाने वाला पराक्रम मिथ्या पराक्रम है। हम सभी की मंजिल मोक्ष है जिसकी शुरूआत संवेग से होती है। संवेग से सम्यक पराक्रम की शुरूआत होती है। इससे निर्वेग की उत्पति होती है एवं संसार में रूचि खत्म होने लगती है। उन्होंने कहा कि धर्म श्रद्धा होने पर संसार के सुखों में आनंद की अनुभूति नहीं होती है। यदि हमारा मन संत से ज्यादा संतान में, स्थानक से ज्यादा घर में लगता है तो समझ लेना अभी हमारी धर्म श्रद्धा कमजोर है। जिसको खाने से अधिक आनंद तपस्या में आता है उसकी धर्मश्रद्धा मजबूत है।

चातुर्मास समिति के महावीर देवड़ा, पुष्कर जैन भदावत, दिनेश वेलावत व कमलेश वेलावत ने बताया सोमवार को बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में श्रावक-श्राविकाओं ने गमेर बाग धाम में बिराजित मूलनायक भगवान की नित्य नियम पूजा-अर्चना की। उसके बाद पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा की। वहीं कई श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ से आशीर्वाद लिया। चातुर्मास समिति के भंवरलाल गदावत ने बताया कि मुनिश्री का पाद प्रक्षालन, दीप प्रज्जवलन, धर्मसभा के पूर्व शंतिधारा, अभिषेक, शास्त्र भेंट, चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन जैसे मांगलिक आयोजन हुए। शाम को सभी श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ की आरती की।

इस अवसर पर अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत, पुष्कर जैन भदावत, महावीर देवड़ा, दिनेश वेलावत, कमलेश वेलावत, भंवरलाल गदावत, रविश जैन, सुरेश पद्मावत, देवेन्द्र छाप्या, ऋषभ कुमार जैन, भंवरलाल देवड़ा, मंजु गदावत, लक्ष्मी देवड़ा, सीता देवड़ा, जयश्री देवड़ा, अल्का भदावत, लक्ष्मी सिंघवी, सुशीला वेलावत, बसन्ती वेलावत, भारती वेलावत, शिल्पा वेलावत, अल्पा वेलावत राजेश गदावत, विक्रमदेवड़ा, विजय गदावत, जितेंद्र जोलावत, भूपेन्द्र मुंडफोडा, रितेश बोहर सहित सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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