आत्मिक दोषों के शमन के लिए क्रोध-लोभ-कपट व घमण्ड का त्याग जरूरी : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चल रहे चातुर्मास का परिवर्तन व निष्ठापन 15 नवम्बर शुक्रवार को होगा।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को सुबह 7 बजे शोभागपुरा 100 फीट रोड स्थित आदेश्वर मंदिर से आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास परिवर्तन कराया जाएगा जो आर्ची अपार्टमेन्ट स्थित मुनि सुव्रतनाथ स्वामी मंदिर न्यू भूपाल पुरा में राजेश्वरी देवी- श्यामलाल हरकावत के निवास पर गाजे-बाजे की मधूर स्वर लहरियों के साथ कराया जाएगा। जहां पर व्याख्यान एवं शत्रुंजय भावयात्रा का आयोजन होगा। उसके बाद सभी श्रावक-श्राविकाओं की नवकारसती का आयोजन रखा गया।
गुरुवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने कहां कि सांसारिक और भौतिक नुकसान बताकर भी क्रोध-लोभ आदि काषयिक भावों को छोडने का उपदेश दे सकते है और चौरासी के चक्कर नहीं काटना है ऐस आत्मिक उद्ेश्य से भी क्रोध-लोभ को छोडऩे का उपदेश दे सकते है। आत्मिक दोषों के शमन के लिए क्रोध-लोभ-कपट व घमण्ड का त्याग जरूरी है। चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।