टखमण 28 में ख्यातनात कलाकार विद्यासागर उपाध्याय की प्रदर्शनी शुरू
उदयपुर, । टखमण 28 संस्था की कलादीर्घा में जाने माने कलाकार विद्यासागर उपाध्याय के 77 वें जन्मदिन की प्रतीक 77 चित्रकृतियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन मंगलवार को धरोहर की संरक्षक श्रीमती नंदिता सिंघल के करकमलों से संपन्न हुआ। इस अवसर पर नगर के ख्यात कलाविद, कला गुरु सुरेश शर्मा एवं शैल चोयल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
प्रदर्शित चित्र पेन इंक और ड्राई पेस्टल रंगों से बने अमूर्त रेखांकन हैं, जो कि कलाकार के द्वारा इसी कैलेंडर वर्ष में सृजित किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि विद्यासागर उपाध्याय का नाम राजस्थान में अमूर्त कला आंदोलन के प्रमुख चित्रकारों में शुमार है और राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई चित्र प्रदर्शनियों एवं कार्यशालाओं में इनकी उपस्थिति दर्ज होती रही है।
विद्यासागर उपाध्याय का मानना है कि अमूर्तन एक भाव है, विचार है और अभिव्यक्ति का ही एक स्वरुप है। इसमें कलाकार की अपनी मानसिकता का प्रदर्शन है। अमूर्तन की रचना के समय वह यथार्थ अथवा भासित आकार का मोह छोड़ देता है। प्रकृति में विविधता है, वह कभी खत्म नहीं होती। उसके प्रभाव में हर क्षण रंगों व आकारों की नई दुनिया प्रकट होती रहती है। ऐसा ही कुछ हमारी सपनों की दुनिया में भी घटित होता है। अतः अमूर्तन प्रकृति से कहीं भी अलग नहीं है। इसी विचार के संदर्भ में अमूर्त वादी आगे बढ़े और उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से सिद्ध किया कि बिना यथार्थ आकृतियों के भी सौंदर्य की अनुभूति की जा सकती है अथवा करवाई जा सकती है। यहां कलाकार ज्यादा स्वतंत्र होता है, सृजन के समय वह और अधिक स्वछंद भी हो जाता है। ऐसे आकारों की रचना विशुद्ध सौंदर्य से जुड़ी हुई है।
ऐसे ही वैचारिक पृष्ठभूमि में विद्यासागर उपाध्याय ने अनगिनत छोटे बड़े आकार के चित्रों की कई माध्यमों व तकनीक से रचना की है। अमूर्तन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दृढ़ है। अपने सृजन काल के आरंभ से लेकर अब तक जितनी भी रचनाएं की है, वह सब “अनटाइटल्ड“ शीर्षक से ही प्रदर्शित हुई है। यह भी समकालीन कला की दुनिया में एक अनूठापन है। यहां प्रदर्शित सभी चित्र प्रकृति के पल पल बदलते रूपों की तरह ही है, जो दर्शकों के सामने अदीठे रंगों व आकारों की दुनिया प्रस्तुत करते हैं।
उद्घाटन समारोह में सदाशिव श्रोत्रिय, परितोष दुगड़, निवास अय्यर,हर्ष छाजेड़, बसंत कश्यप, सुभाष मेहता, मीना बया, ललित शर्मा, आर.के.शर्मा, सी.पी.चौधरी, रघुनाथ शर्मा, छोटूलाल, रामसिंह,आकाश चोयल, शर्मिला राठौड़, संदीप पालीवाल, जयेश सिकलीगर आदि कलाकार, साहित्यकार एवं कलाप्रेमी मौजूद रहे। प्रदर्शनी 5 दिसंबर तक 11 बजे से 7 बजे तक अवलोकनार्थ खुली रहेगी।