दीपक ना बन सको कोई बात नहीं, एक छोटी सी अगरबत्ती बन जाओ और इस जगत को महका कर चले जाओ : राष्ट्रसंत पुलक सागर

उदयपुर । सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। शुक्रवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के 19वें दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि गुरुवार को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संघ विभाग संचालक हेमेंद्र श्रीमाली, नगर संघ संचालक गोविंद अग्रवाल, विभाग प्रचारक धनराज, महानगर प्रचारक नारायण, पूर्व महापौर रजनी डांगी, उद्योगपति मोहन माखीजा, महिला मोर्चा पूर्व अध्यक्ष अलका मूंदड़ा, तखत सिंह शक्तावत एवं सुशील मूंदड़ा उपस्थित थे ।
चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के 20वें दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा दुनिया से मां बाप एक दिन चले जाते है, वो आते है और एक नई पीढ़ी तैयार करते है और चले जाते है । एक नई समाज का निर्माण करके जाते है यह सनातन परंपरा है । लेकिन एक बात ध्यान रखना गरीब से गरीब मां बाप भी अगर दुनिया से जाते है तो अपने बच्चे को कुछ ना कुछ देकर ही जाते है । प्रकृति का यही नियम है जो आया है वो एक दिन जाएगा ही जाएगा । कुछ लोग ऐसे होते है जो जिंदा रहकर ऐसे काम कर जाते है, जो मरकर भी अमर हो जाते है । कुछ लोग मर मर कर जीते है और मर मर कर इस दुनिया से चले जाते है । कितना नादान है आदमी सब कुछ बटोरने में लगा है, इस दुनिया से खाली हाथ जाने के लिए । कुछ ऐसा देकर जाओ आने वाली पीढ़ी को, कुछ ऐसा सौंप कर जाओ कि आने वाली पीढिय़ां खुशी खुशी जी सके । एक दीपक को फूंक मार कर बुझा सकते हो, लेकिन एक अगरबत्ती को फूंक मार कर नहीं बुझा सकते । अगरबत्ती को कोई तूफान भी नहीं बुझा सकता, अगरबत्ती धीरे धीरे जलती है और बुझने के बाद पूरे कमरे में महक छोड़ जाया करती है । सूरज ना बन सको कोई बात नहीं, दीपक ना बन सको कोई बात नहीं, एक छोटी सी अगरबत्ती बन जाओ और इस जगत को महका कर चले जाओ । मीरा कृष्ण की उपासक थी, पुजारी थी । मीरा ने अपना संपूर्ण जीवन कृष्ण भक्ति में निकाल दिया । मैने कई बड़े बड़े उपासकों से पूछा कि मेरा कृष्ण की पुजारी थी, तो उसने ये क्यों कहा कि पायो जी मैने राम रतन धन पायो, एक ही निष्कर्ष निकला कृष्ण मीरा के आराध्य थे और राम मीरा के गुरु मंत्र थे । मीरा ने सिर्फ एक ही भजन में राम को याद किया है, बाकी सभी में कृष्ण को, यह विरासत है, यह भारत की सनातन परंपरा है । मै पुलकसागर तुम्हे जरूर कुछ ना कुछ देकर जाऊंगा, मेरे पास भी वसीयत है, मेरी वसीयत में नसीहत है, वो तुम्हे देकर जाऊंगा । संतों की नसीहत से बड़ी को वसीयत नहीं हुआ करती । मरने से पहले वसीयत लिखकर चले जाना, वरना तुम्हारे मरने के बाद बच्चे कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते रहते है। जिस घर में मां बाप के मरने से पहले वसीयत नहीं होती उनके जाने के बाद उस घर में झगड़े अवश्य होते है । ज्यादा मोह में मत पड़ो, जिस दिन बेटे की शादी हो गई उस दिन बेटा अलग । बेटा कब पड़ोसी बन जाएगा पता नहीं चलेगा । अपनी पत्नी को अबला नहीं सबला बना कर जाओ । आज के जमाने में बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपया होता है ।
प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया शनिवार 9 अगस्त को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा, विशेष प्रवचन होंगे, संतों की पिच्छिका पर रक्षा सूत्र बांधने का क्रम पूरे दिन चलेगा ।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर विशेष आयोजन होंगे । इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।