मां शब्द किसी ग्रन्थ से कम नहीं, जहां मां होती है वहां जन्नत - राष्ट्रसंत सागर

उदयपुर विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। रविवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के 22वें दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि गुरुवार को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया एवं दिनेश खोड़नीया थे।
चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के 22वें दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा मुश्किलें जीवन में तमाम आएगी, मां की दुआ लेले तेरे बहुत काम आएगी । दुनिया में मां से बड़ा कोई शब्द नहीं, वर्णमाला के यदि सबसे छोटा कोई शब्द है तो वो है मां, लेकिन सबसे बड़ा अर्थ यदि किसी का है तो वो मां शब्द का हुआ करता है । शब्द छोटा अर्थ और भाव बड़ा, वो होती है मां । मां वो हस्ती है जो बच्चों के गुनाहों को अपने आंचल में छुपा लेती है, मां वो हस्ती है जो हमें हर सजा से बचा लेती है, मां वह हस्ती है जो जन्नत को अपने पैरों के नीचे दबा लेती है और मां वो है जो ईश्वर को भी अपनी गोदी में खिला लेती है । मुझसे किसी व्यक्ति ने पूछा संसार में मोहब्बत कहां है, मैने उससे कहा मेरी मां जहां है वहां मोहब्बत हो मोहब्बत है, मां से बड़ी मोहब्बत दूसरी दुनियां में कोई दूसरी हुआ नहीं करती है । मां शब्द बोलते ही जुबान पर मिठास आ जाती है, मां शब्द सुनते ही कानों में अमृत घुल जाता है । मां शब्द का स्मरण करते ही भीतर एक अलग ही सुगंध महसूस होती है । मां शब्द किसी ग्रन्थ से कम नहीं होता । आज मैं यदि आपके सामने बैठ कर प्रवचन कर रहा हूं तो अपनी मां की बदौलत यहां बैठ कर प्रवचन कर रहा हूं । मै तो यही चाहता हूं मेरे जीवन का जब भी अंत हो तीर्थंकरों के चरणों में मेरा अंत हो यही मेरी जिनेन्द्र देव से प्रार्थना है । आचार्य ने कहा कि जब मैं पैदा हुआ तब मेरी मां ने मुझे संभाला, जवानी में आचार्य पुष्पदंत सागर ने मुझे सही राह दिखाई और जीवन के अंत में परमात्मा से यही प्रार्थना है कि तू मुझे सम्भाल लेना । मै तो यही चाहता हूं मेरे जीवन का जब भी अंत हो तीर्थंकरों के चरणों में मेरा अंत हो यही मेरी जिनेन्द्र देव से प्रार्थना है । संसार में जितने भी लोग है वो आत्मा है, आत्मा बोलो तो अंत में मां आता है, मां बोलो तो मां आता है, महात्मा बोलो तो अंत में मां आता है और परमात्मा बोलो तो अंत में मां आता है । माता पिता हमारे जीवन का प्रमाण एवं परिचय हुआ करते है । माता पिता होते है तो औलाद जायज है और यदि माता पिता का नाम नहीं हो तो औलाद को नाजायज कहा जाता है । त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की, वामा नंदन पार्श्वनाथ, देवकी नंदन नारायण कृष्ण, कौशल्या नंदन श्री राम । ऐसी कोई आरती नहीं बनी जिसमें भगवान के माता पिता का नाम नहीं हो । प्रवचन से पूर्व आचार्य पुलक सागर के गृहस्थ जीवन की दादी आर्यिका देवमती के समाधि दिवस पर श्रद्धांजली अर्पित की गई । आचार्य सन्मति सागर महाराज की सुशिष्या रही आर्यिका देवमति का 1988 में बांसवाड़ा में देवलोक गमन हुआ था । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया एवं दिनेश खोड़निया सहित कई गणमान्य उपस्थित थे । कार्यक्रम के अंत में जैन सेवा के पोस्टर का विमोचन किया गया, पूरे भारत में कोई भी सेवा कार्य होंगे, वह जैन सेवा के बैनर तले किए जाएंगे । पर्यूषण महापर्व में जैन समाज के लिए संस्कार शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसके फॉर्म भी वितरित किए गए ।
इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।