पनोतिया विद्यालय में संस्कृत व विज्ञान के अध्यापको ने मिलकर संस्कृत में विज्ञान नामक नवाचार प्रारंभ किया

By :  vijay
Update: 2025-02-10 11:41 GMT

राजेश शर्मा धनोप।

भारतीय संस्कृति और विज्ञान सदैव परस्पर पूरक रहे हैं। आधुनिक विज्ञान के विकास के साथ-साथ प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनः खोजकर नए-नए आविष्कार किये जा रहे हैं। भारतीय संस्कृति और विज्ञान का संबंध प्राचीन काल से ही अत्यंत घनिष्ठ रहा है। प्राचीन ऋषियों ने वेदों और शास्त्रों में वैज्ञानिक तथ्यों को सूत्रबद्ध किया है। जैसे वेदों में खगोल विज्ञान,चिकित्सा और भौतिकी से संबंधित कई महत्वपूर्ण सिद्धांतो का उल्लेख मिलता है। अपनी महान संस्कृति को जानने उसे आत्मसात करने व गौरवान्वित होने के उद्देश्य से विज्ञान के वरिष्ठ अध्यापक महेश कुमार कोली व संस्कृत व्याख्याता जगदीश प्रसाद तेली ने 'संस्कृत में विज्ञान' नामक नवाचार प्रारंभ किया गया है। जिसके तहत प्रत्येक सोमवार प्रार्थना सत्र में संस्कृत प्राध्यापक जगदीश प्रसाद तेली द्वारा कोई एक प्राचीन परंपरा, संस्कृत श्लोक, छंद आदि का वर्णन करेंगे तथा उससे जुड़े हुए वैज्ञानिक तथ्य सिद्धांत विज्ञान अध्यापक महेश कुमार कोली द्वारा व्याख्या, गतिविधि,मॉडल, प्रयोग आदि के माध्यम से छात्रों के सामने प्रस्तुत करेंगे। इस सोमवार को ऋग्वेद में "सूर्योदयं नमस्यामि सर्वरोगनिवारणम्।" व "सूर्य: सर्वं प्रकाशयति, जीवनं ददाति च।" के बारे में बताया गया। जिसका तात्पर्य है कि सूर्योदय के समय सूर्य की पूजा करने से सभी रोग दूर होते है। इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य है यह है कि सूर्य की किरणों से विटामिन डी का निर्माण होता है जिससे हड्डियां मजबूत होती है। इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है और हमारी नेत्र ज्योति बढ़ती है। अत: हमें प्रात: काल सूर्य को तांबे के लौटे में जल चढ़ा कर पूजा करनी चाहिए। इस अवसर पर संस्था प्रधान विपिन कुमावत ने नवाचार की प्रशंसा की और छात्रों को अपनी भारतीय संस्कृति से जुड़े रहने तथा नवाचार के अंतर्गत बताए गए ज्ञान को अपने जीवन में उतारने के लिए कहा। इस अवसर पर समस्त स्टॉफ मौजूद रहा।

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