खजूरी: भगवान देवनारायण की जन्मस्थली मालासेरी डूंगरी की ओर दूसरी पद यात्रा उलेला गांव के देवनारायण मंदिर से रविवार, 17 अगस्त 2025 को सुबह 9 बजे श्रद्धा और उत्साह के साथ रवाना हुई। यह यात्रा 22 अगस्त को मालासेरी में ध्वज चढ़ाने के साथ सम्पन्न होगी। हर साल की तरह इस बार भी भक्तों ने अपनी अटूट आस्था के साथ यह संकल्प लिया है।
यात्रा का भव्य स्वागत
उलेला के चारभुजा नाथ मंदिर प्रांगण में गौ भक्तों ने यात्रियों का फूल-मालाओं और पुष्प वर्षा के साथ जोरदार स्वागत किया। यह यात्रा घाटारानी, पंडेर, शाहपुरा, सरेरी, और बंख्यारानी होते हुए पांच दिनों में मालासेरी डूंगरी पहुंचेगी, जहां भगवान देवनारायण का जन्म हुआ था।
यात्रा की खासियत
योग और मंत्रोच्चार: यात्रा में प्रतिदिन योग साधना और संगीतमय मंत्रोच्चार होगा। भक्त ॐ नमो नारायण साडू पुत्राय नमः के मंत्रों का जाप करते हुए सड़क किनारे आगे बढ़ेंगे।
आस्था का केंद्र: मालासेरी डूंगरी, जहां भगवान देवनारायण ने संवत 968 में माघ सुदी सप्तमी को कमल के फूल में अवतार लिया था, देशभर में आस्था का प्रमुख केंद्र है।
भक्तों का उत्साह: इस यात्रा में बड़ी संख्या में देव भक्त शामिल हुए, जो अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ मालासेरी की ओर बढ़ रहे हैं।
मालासेरी डूंगरी का महत्व
मालासेरी डूंगरी, भीलवाड़ा जिले के आसींद तहसील में स्थित, भगवान देवनारायण की जन्मस्थली है। यहां भगवान ने पहाड़ को चीरकर अवतार लिया था। मंदिर में एक प्राकृतिक चट्टान की छत, अखंड ज्योत, और एक अनोखा नीम का पेड़ है, जिसके एक पत्ते का स्वाद कड़वा और दूसरे का मीठा होता है। यह तीर्थ स्थल गुर्जर समाज सहित सर्व समाज के लिए आस्था का केंद्र है, जहां देशभर से श्रद्धालु पैदल यात्रा कर पहुंचते हैं।
यात्रा का संदेश
यह पद यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि भक्तों के बीच एकता, भक्ति और साधना का संदेश भी देती है। भक्तों का कहना है कि यह यात्रा उनके लिए आत्मिक शांति और भगवान के प्रति समर्पण का अवसर है।
