यूपी की मुस्लिम महिला शहजादी खान को UAE में क्यों दी गई फांसी?
यूपी के बांदा की रहने वाली शहजादी को दुबई में सजा-ए-मौत दे दी गई. उसे एक बच्चे की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था. विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय दूतावास ने शहजादी को हर संभव कानूनी सहायता दी. यूएई सरकार के पास दया याचिका लगाई गई. क्षमा की अर्जी भी दी गई. लेकिन वहां के कानून के मुताबिक, उसे 28 फरवरी को सजा दे दी गई. यह घटना हिला देने वाली है, लेकिन क्या आपको पता है कि शहजादी को दुबई में कैसे दी गई सजा-ए-मौत? फांसी के फंदे पर लटकाया या गोली मारी गई?
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) एक इस्लामिक देश है. यहां शरिया कानून और नए तरीकों से भी मृत्युदंड दिया जाता है. हालांकि, यहां मृत्युदंड काफी दुर्लभ मामलों में दिया जाता है. यहां सजा-ए-मौत हत्या, आतंकवाद, बलात्कार और यौन उत्पीड़न, ड्रग तस्करी, देशद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले अपराध, इस्लाम की निंदा या पैगंबर का अपमान, जैसे अपराधों के लिए फांसी देने का प्रावधान है. लेकिन अब तक देखा गया है कि ज्यादातर मामलों में मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया जाता है.
कब दी जाती सजा-ए-मौत
यहां अगर किसी पर आरोप लगे तो बचने के लिए 4 तरह की व्यवस्था है. आप स्थानीय अदालत में अपना बचाव कर सकते हैं. उसके बाद अपील कोर्ट में जा सकते हैं. यहां सबूतों की समीक्षा होती है और कभी-कभी सजा को कम कर दिया जाता है. इसके बाद भी अगर आप गलत पाए गए तो सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट यह देखता है कि सजा-ए-मौत देने का फैसला फैसला कानूनी रूप से सही है या नहीं. यहां भी अगर मृत्युदंड पर मुहर लग जाती है तो फिर सिफ राष्ट्रपति से क्षमा याचना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं. यदि राष्ट्रपति माफ कर देते हैं, तो सजा को आजीवन कारावास या अन्य दंड में बदल दिया जाता है. विदेश मंत्रालय की मानें तो शहजादी के मामले में भी ये सारी प्रक्रिया हुई है.