डीएसटी ने बर्तन व्यापारी बनकर अहमदाबाद से दबोचा हत्या के ईनामी आरोपित उमेश को, दस साल से था फरार
भीलवाड़ा बीएचएल। दस साल पहले मोड का निम्बाहेड़ा में हुई कन्हैयालाल दरोगा की हत्या के मामले में दस साल से फरार 2 हजार रुपये के ईनामी आरोपित उमेश मुंगड़ को डीएसटी टीम ने बर्तन के होलसेल व्यापारी बनकर अहमदाबाद से दबोच लिया। आसींद पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर दिया।
मिली जानकारी के अनुसार, मोड का निम्बाहेड़ा निवासी दिनेश पुत्र गोपाल खटीक ने 7 अगस्त 2015 को एमजीएच में आसींद पुलिस को रिपोर्ट दी कि आज दोपहर पप्पू पुत्र रामेश्वर दरोगा के मोबाइल से परिवादी के मोबाइल पर कॉल आया। पप्पू ने बताया कि कन्हैयालाल मेरे घर आकर लड़ाई-झगड़ा कर रहा है। इसे ले जाओ। इस पर परिवादी दौडक़र उसके घर गया, जहां कमरे में पड़ी खाट पर कन्हैयालाल अचेत पड़ा था। परिवादी अपने घर जाकर काका सत्यनारायण व भई मुकेश को बताया। तीनों भागकर पप्पू के घर पहुंचे, जहां कन्हैया मृत पड़ा था। घर में कृष्णा दरोगा, उमेश मुंगड़ व कृष्णा के माता-पिता रामेश्वर दरोगा व उसकी पत्नी परिवादीगण को देखकर भागने लगे। परिवादी का आरोप है कि उसके भाई कन्हैया को इन लोगों ने षड्यंत्रपूर्वक घर बुलाया ओर कोई संदिग्ध वस्तु खिला और गला दबाकर उसे मार दिया। परिवादी के भाई कन्हैयालाल को रामलाल की वैन में महात्मा गांधी अस्पताल लेकर गये, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच के बाद मोड का निम्बाहेड़ा निवासी उमेश कुमार पुत्र राधेश्याम मुंगड (माहेश्वरी) को गिरफ्तार कर पेश न्यायालय किया गया। इसके बाद उमेश जमानत मिलने पर फरार हो गया। वह तारीख पेशी पर न्यायालय में उपस्थित नहीं हो रहा था। न्यायालय ने उमेश के खिलाफ स्थाई वारंट जारी किया। इसके बाद से फरार आरोपित पर 2 हजार रुपये का ईनाम पुलिस अधीक्षक ने घोषित किया।
जिला पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह के आदेश से गठित जिला विशेष टीम ने अथक प्रयास करते हुये मुखबिर लगाये और तकनिकी सहायता ली। इस दौरान आरोपित के अहमदाबाद में होने का पता चलने पर डीएसटी टीम बर्तन के होलसेल व्यापारी बनकर अहमदाबाद पहुंची और आरोपित उमेश मुंगड़ को दबोच कर यहां ले आई। आरोपित को आसींद थाना पुलिस के सुपुर्द करने पर पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर दिया। इस कार्रवाई को अंजाम देने वाली टीम में आईपीएस प्रोबेशनर जतिन जैन, दीवान ओमप्रकाश चौधरी व कांस्टेबल अमृतसिंह (विशेष योगदान) शामिल थे।