लापरवाह सिस्टम: आप ही वस्त्रनगरी वासियों का कष्ट दूर करो 'विघ्नहर्ता' !
भीलवाड़ा। गणपति बप्पा का आगमन हो चुका है। इस बार बप्पा को अपने द्वार तक ले जाने वाले भक्तों को भी परेशानी हुई। भक्तों को उम्मीद है कि उनकी विदाई के समय ना सही, लेकिन अगली बार जब बप्पा वापस आएंगे तो उन्हें परेशानी का सामना ना करना पड़े। भक्तों का कहना है कि भगवान श्रीगणेश बुद्धि के देवता है, वे इस बार आगमन से विदा होने के बीच शहर की दुर्दशा के जिम्मेदारों को जरूर सद्बुद्धि देंगे। क्योंकि लोग ऊपर से नीचे तक अफसरों और नेताओं से गुहार लगाते हुए थक चुके हैं, कि कब मूलभूत सुविधाओं को लेकर उनके कष्ट दूर होंगे। कष्ट भी ऐसा की आधा शहर खुदा हुआ पड़ा है, पूरे शहर की सडक़े शारीरिक, आर्थिक और मानसिक कष्ट दे रही है। बाहर भरपूर बारिश हो रही है, पर पीने का पानी भी पूरा नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में लापरवाह और नाकारा हो चुके सिस्टम ने लोगों का भरोसा खो दिया है। आमजन की पीड़ा यही है कि चाहे वो पार्टी या नेता का राज भीलवाड़ा में हो, उनकी समस्याओं से किसी को कोई सरोकार नहीं है। चूंकि भगवान श्रीगणेश बुद्धि के भी देवता है, इसलिए लोगों ने विघ्नहर्ता प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश से प्रार्थना की है कि इस बार आए है तो लापरवाह सिस्टम के लोगों को सद्बुद्धि देकर जाए ताकि उनके कष्ट दूर हो सके।
वस्त्रनगरी वासियों को चाहिए इन कष्टों से निजात
- लोग सडक़ों पर अतिक्रमण से मुक्ति चाहते है। ताकि लोगों को आवाजाही के लिए सुलभ रास्ते मुहैया हो। वर्तमान में तो तीस फीट हो या साठ फीट हर सडक़ अतिक्रमण की गिरफ्त में है।
- सडक़ों पर बैनर और होर्डिंग्स से मुक्ति। कई जगह होर्डिंग्स के कारण सडक़ें छोटी हो गई है जिससे जाम की स्थिति बन जाती है। यह हादसों का कारण बन रहे है। ऐसे होर्डिंग्स पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
- टूटी सडक़ों व पानी भराव से परेशान वाहन चालक परेशान है। गंगापुर तिराहा हो, रेलवे फाटक हो या फिर नागौरी गार्डन तिराहा हर जगह टूटी सडक़ें लोगों को दर्द दे रही है। लोगों की हड्डियां भी तोड़ रही है।
- मामूली बरसात में भी जलभराव। पानी निकासी के उचित प्रबंध नहीं होने के कारण सालों से जलभराव की परेशानी बनी हुई है। किए है।
- गंदगी में रहने की मजबूरी का कष्ट। सफाई की हालत तो किसी भी छिपी हुई नहीं है। कई जगह अस्थाई डमपिंग यार्ड बना दिए गए है जो शहर की सुंदरता पर कालिख पोत रहे है। कई मार्ग कचरा घर बन चुके है। लोग बदबू और गंदगी से परेशान है।
- शहर के आला अधिकारियों के कार्यालयों का रास्ता हो या भीड़भाड वाले बाजार, कहीं भी ऐसी जगह नहीं है जहां गौवंश सडक़ पर नजर नहीं आता हो। सडक़ पर गौवंश के चलते रोजाना हादसे हो रहे है और लोग अकाल मौत के शिकार हो चुके है।
- सड़कें ऊपर, मकान दुकान नीचे। शहर के मुख्य बाजार हो या बाहरी सडक़ें। हर सडक़ बनाने के लिए नियमों को ताक में रख दिया गया। पहले सडक़ों की खुदाई कर पहले वाले लेवल पर ही नई सडक़ बनाई जाती थी लेकिन कुछ सालों से स्वार्थवश सडक़ों पर परत दर परत डामर चढाकर हालात ऐसे पैदा कर दिए कि जहां दुकानों और मकानों में जाने के लिए एक से दो सीढियां चढनी पड़ती थी लेकिन अब सीढियां गायब हो गई है और दुकानें सडक़ से नीची हो गई है। इसलिए जल भराव के लिए जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि स्वायत्तशाषी संस्थाएं ही है। पानी दुकानों और घरों में मामूली बरसात में ही घुसेगा।
- रेलवे अण्डरब्रिज तो बना दिए गए लेकिन एक दो को छोडक़र बाकी के हालात खराब है। समेलिया फाटक, चन्द्रशेखर आजादनगर, जोधड़ास मार्ग, गायत्री आश्रम आदि अण्डरब्रिजों में पानी भरा रहता है और कुछ तो बिलकुल ही सडक़ विहीन है। ऐसे में दुर्घटनाओं की आशंका भी बनी रहती है।
- मकान और भूखण्डों के पट्टों, अवैध कब्जों और अवैध निर्माणों पर रोक।
इनके अलावा और भी परेशानियां है।