डूबी फसलों को लेकर भीलवाड़ा में सियासत गरमाई: कांग्रेस का आक्रामक आंदोलन, भाजपा की पलटवार रणनीति

Update: 2025-09-15 17:55 GMT

# किसानों की फसलें डूबीं, अब सियासत गरमाई

#  कांग्रेस का आंदोलन बनाम भाजपा का बचाव, मंगलवार को आमने-सामने दिखेंगी दोनों पार्टियां

#  किसानों की मेहनत पर बरसात का प्रहार

भीलवाड़ा राजकुमार माली।अत्यधिक बरसात ने भीलवाड़ा जिले के किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। गांव-गांव में खड़ी फसलें गल गईं, खेत पानीबदूब कर बर्बाद हो गए और किसानों की महीनों की मेहनत पर संकट के बादल मंडराने लगे। लेकिन नुकसान की भरपाई और राहत की उम्मीद लगाए बैठे किसानों को अब तक सरकार से कोई ठोस सहायता नहीं मिली। यही मुद्दा अब सियासी रणभूमि बन गया है। कांग्रेस किसानों की पीड़ा को लेकर आंदोलन की राह पकड़ रही है, जबकि भाजपा सरकार बचाव की मुद्रा में उतरकर अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटी है। इस लेकर  भाजपा के सांसद, विधायक और संगठन के नेता एक जुट होकर मंगलवार को अपना पक्ष रखेंगे। हालांकि काग्रेस पूरी तरह से एक जुट नहीं हे!

कांग्रेस ने दी आंदोलन की चेतावनी


कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर और जिला कांग्रेस कमेटी ने स्पष्ट ऐलान किया है कि किसानों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। धीरज गुर्जर ने दावा किया कि जिले में किसानों की हालत बद से बदतर है, लेकिन सरकार किसानों के लिए राहत पैकेज, मुआवजा या बीमा राशि जारी करने में पूरी तरह विफल साबित हुई है।

कांग्रेस का कहना है कि यदि सरकार तत्काल किसानों को मुआवजा नहीं देती तो जिलेभर में किसान जन आंदोलन छेड़ा जाएगा। इसके लिए कांग्रेस ने गांव-गांव में बैठकों और सभाओं का दौर शुरू कर दिया है। धीरज गुर्जर खुद ग्रामीण इलाकों में किसानों से संवाद कर रहे हैं और बड़ी भीड़ जुटाने की तैयारी चल रही है। पार्टी का मकसद है कि किसानों की आवाज़ सीधे सड़कों पर गूंजे और सरकार को झुकना पड़े। कांग्रेस एक बड़ा और और ऐतिहासिक आंदोलन भीलवाड़ा में करने की बात कह रही है हालांकि कांग्रेस के कई पूर्व विधायक और अन्य नेता एक झूठ नहीं है और नहीं कांग्रेस कमेटी जिला अध्यक्ष को छोड़ कर अस्तित्व में हे!


भाजपा का पलटवार: "राहत पहुंचाने में सरकार तत्पर"


दूसरी ओर, कांग्रेस के हमले का जवाब देने के लिए भाजपा भी तैयारी में जुट गई है। मंगलवार को जिला संगठन के साथ सांसद दामोदर अग्रवाल और जिले के सभी विधायक पत्रकार वार्ता करेंगे। भाजपा का दावा है कि सरकार किसानों को राहत पहुंचाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है और जल्द ही प्रभावित किसानों को फसल बीमा का लाभ मिलेगा।

भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस केवल राजनीति चमकाने के लिए किसानों की भावनाओं से खेल रही है। असल में, सरकार ने पहले ही सर्वे शुरू कर दिए हैं और जिन किसानों की फसलें खराब हुई हैं, उन्हें बीमा कंपनियों से मुआवजा दिलवाया जाएगा।

शहर की बदहाली भी बनेगी मुद्दा

हालांकि पत्रकार वार्ता का मुख्य एजेंडा फसल बीमा और किसानों की समस्या होगी, लेकिन शहर के हालात भी इस बहस का हिस्सा बन सकते हैं। टूटी सड़कें, नालियों की दुर्दशा, सीवरेज लाइन से बिखरी सड़कें, बढ़ता अतिक्रमण और कागजों में भीलवाड़ा में  चल रही सिटी बस सेवा जैसे मुद्दों पर भाजपा नेताओं से सवाल दागे जा सकते हैं।

जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा केवल किसानों की राहत तक सीमित रही तो कांग्रेस इस मौके का इस्तेमाल शहर की दुर्दशा को भी बड़ा मुद्दा बनाने में करेगी।


पूर्व वियायक जाट ने भी दिखाया  दम  , किसानो को मुआवजे की मांग उठाई 

भीलवाड़ा जिले में हाल ही में हुई अत्यधिक वर्षा (अतिवृष्टि) के कारण किसानों की दलहनी फसलें, विशेष रूप से मूंग और उड़द, बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। पीले रोग (येलो डिजीज) के साथ मिलकर भारी बारिश ने इन फसलों को बर्बाद कर दिया है, जिससे किसान आर्थिक संकट में हैं। किसान सरकार से तत्काल मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें राहत नहीं मिल पाई है।

रामलाल जाट का नेतृत्व में प्रदर्शन

 



 पूर्व राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने बड़ी संख्या में किसानों और ग्रामीणों के साथ जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में अतिवृष्टि से हुए नुकसान का आकलन कर किसानों को शीघ्र मुआवजा दिलवाने की मांग की गई है। रामलाल जाट ने इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा किसानों के हितों का ध्यान नहीं रख रही है। वर्तमान व्यवस्था में अतिवृष्टि के बाद खेत को एक इकाई के रूप में मान्यता नहीं दी जाती, जिसके कारण किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता। इसके विपरीत, बीमा कंपनियां व्यक्तिगत प्रीमियम वसूलती हैं, लेकिन दावे के समय सहयोग नहीं करतीं।

जाट ने आगे कहा कि जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आएगी, तो वे किसान के खेत को ही इकाई मानकर नई नीति बनाएंगे। इससे किसानों को सही मुआवजा और लाभ मिल सकेगा।

सियासी समीकरण


राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अत्यधिक बरसात से उपजा यह संकट अब किसानों की आजीविका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह राजनीतिक तापमान भी बढ़ा रहा है। कांग्रेस जहां इसे किसान विरोधी सरकार का उदाहरण बताकर बड़ा आंदोलन खड़ा करने का प्रयास कर रही है, वहीं भाजपा सरकार के कामकाज का बचाव करते हुए अपनी छवि बचाने में जुटी है।

कांग्रेस के लिए यह मौका है कि वह किसानों की पीड़ा को जनता तक पहुंचाकर अपनी जमीन मजबूत करे, जबकि भाजपा के लिए यह चुनौती है कि वह किसानों को समझाकर और राहत के ठोस कदम दिखाकर विपक्ष के आरोपों को बेअसर क

किसानों की निगाहें टिकी

भीलवाड़ा जिले का किसान फिलहाल सियासत से ज्यादा अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। खेतों में बर्बाद फसलों के बाद उनकी नजर सरकार की घोषणाओं और विपक्ष की आंदोलनों पर टिकी है। किसान यह देख रहा है कि कौन उसकी मदद के लिए ठोस कदम उठाता है—सरकार वाकई राहत पहुंचाती है या विपक्ष का आंदोलन उसे हक दिलाने में कारगर साबित होता है

बरसात से बर्बाद हुई फसलें अब भीलवाड़ा की सियासत का केंद्र बन चुकी हैं। कांग्रेस ने जहां आंदोलन की चेतावनी देकर सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है, वहीं भाजपा मंगलवार की पत्रकार वार्ता के जरिए अपना बचाव मजबूत करने में जुटी है। शहर की समस्याओं को लेकर उठने वाले सवाल इस सियासी तकरार को और व्यापक बना सकते हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि किसानों के असली दुख-दर्द को दूर करने में कौन-सी पार्टी भरोसा जीत पाती है और कौन केवल सियासी बयानबाजी में उलझकर रह जाती है।

 किसान बोले: "हमें सिर्फ राहत चाहिए"

राजनीतिक आरोप–प्रत्यारोप के बीच किसान सबसे बड़ी मार झेल रहे हैं। खेतों में बर्बाद खड़ी फसलें देखकर उनकी उम्मीदें सरकार पर टिकी हैं। किसानों की राय साफ है— 👉 *“राजनीति बाद में, पहले मुआवजा और बीमा राशि चाहिए।”*

 किसानों की 5 बड़ी समस्याएं

1. **फसलें गल गईं** – लगातार बरसात से कपास, मूंग और मक्का जैसी फसलें पूरी तरह बर्बाद।

2. **बीमा की देरी** – बीमा सर्वे अधूरा, किसानों को अभी तक मुआवजा राशि नहीं मिली।

3. **कर्ज का बोझ** – बैंक और साहूकारों के कर्ज की किश्त चुकाना मुश्किल।

4. **पशुओं के लिए चारे की कमी** – खेत बर्बाद होने से पशुपालन पर भी संकट।

5. **सरकारी अनदेखी** – राहत शिविर या तात्कालिक सहायता अभी तक न के बराबर।


ये हे मामला

भीलवाड़ा जिले में हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण मक्का, मूंग, उड़द, सोयाबीन, बाजरा, ग्वार और चंवला जैसी खरीफ की फसलें खेतों में पानी भर जाने से और पीला रोग के कारण बर्बाद हो गई हैं. किसानों को भारी नुकसान हुआ है और वे सरकारी मुआवजे की मांग कर रहे हैं. कुछ इलाकों में जल निकासी की समस्या के कारण भी खेतों में पानी भर गया है, जबकि कुछ स्थानों पर बनास नदी के उफान के कारण खेतों में पानी आ गया.  



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