फेरबदल की आहट: ब्यूरोक्रेसी के बाद अब मंत्रिमंडल और संगठन में बड़े बदलाव के संकेत
राजस्थान में एक बार फिर सत्ता के गलियारों में बड़े फेरबदल की चर्चा तेज हो गई है। लंबे समय से ब्यूरोक्रेसी में चल रही आंतरिक खींचतान के बीच शुक्रवार को प्रशासनिक ढांचे में बड़ी सर्जरी की गई। मुख्य सचिव का दिल्ली ट्रांसफर और उसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री के अत्यंत करीबी रहे एसीएस का बदलाव राजनीति और प्रशासन दोनों में हलचल पैदा कर गया। यह संभवतः पहला मौका है जब कार्यकाल के बीच में मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के एसीएस दोनों को एक साथ बदला गया हो। इस भारी फेरबदल के बाद अब मंत्रिमंडल और संगठन में बड़े बदलाव की आहट साफ सुनाई दे रही है।
संगठन में हलचल
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ हाल ही में दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात कर चुके हैं। वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पिछले तीन दिनों से लगातार विधायकों से वन-टू-वन मुलाकात कर रहे हैं। इन्हें भले ही शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे “सामान्य दौरा” मानने को तैयार नहीं। उनके अनुसार यह तूफान से पहले की शांति है।
ब्यूरोक्रेसी में नई लीडरशिप
मुख्य सचिव सुधांशु पंत के दिल्ली ट्रांसफर के बाद नए मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास ने कार्यभार संभालते ही प्रशासनिक स्तर पर बड़ा बदलाव किया है। सीएमओ में महत्वपूर्ण फेरबदल करते हुए शिखर अग्रवाल को हटाकर उद्योग विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं अखिल अरोड़ा को नया एसीएस (मुख्यमंत्री) नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही 48 आईएएस अधिकारियों के तबादले भी कर दिए गए। लंबे समय से अटकी यह सूची नए नेतृत्व के आते ही जारी होने से प्रशासनिक स्तर पर नई कार्यशैली, तेज फैसलों और सख्त मॉनिटरिंग के संकेत मिल रहे हैं। इसे सीधे-सीधे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गुड गवर्नेंस एजेंडा से जोड़कर देखा जा रहा है।
मंत्रिमंडल पुनर्गठन की चर्चाएँ तेज
राजनीतिक हलकों में इस समय सबसे अधिक चर्चा मंत्रिमंडल विस्तार या पूर्ण पुनर्गठन की है। विश्लेषकों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व चाहता है कि अगले वर्ष होने वाले पंचायत और निकाय चुनावों से पहले सरकार को और अधिक प्रभावी, संतुलित और परफॉर्मेंस आधारित बनाया जाए। बड़े सवाल के रूप में यह भी उठ रहा है कि क्या राजस्थान में गुजरात मॉडल लागू होगा? इस मॉडल के तहत सभी मंत्रियों से इस्तीफा लेकर नई, कम और चुनी हुई टीम बनाई जाती है।
यदि यह फॉर्मूला लागू होता है तो कई मौजूदा मंत्रियों की विदाई और कुछ नए चेहरों की एंट्री तय मानी जा रही है। मुख्यमंत्री द्वारा लगातार विधायकों से निजी मुलाकातें इसी संभावित फेरबदल से जोड़ी जा रही हैं। राजनीतिक पंडितों के अनुसार वर्तमान माहौल साफ संकेत देता है कि आने वाले दिनों में राजस्थान की सत्ता और संगठन दोनों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
