सास के लिए काल बन रही बहुएं: मोबाइल पर बहू, चौके में सास: जब आँगन की तकरार बनी जान की दुश्मन, भोजपुर की घटनाओं से दहल उठा समाज

Update: 2025-08-27 11:47 GMT

 

 आरा।एक जमाना था जब सास की परछाई से भी बहू सहम जाती थी और घर की दहलीज के भीतर सम्मान और कर्तव्य की एक अलिखित लक्ष्मण रेखा खिंची होती थी। आज का दौर है जहाँ बहू बिस्तर पर बैठे-बैठे मोबाइल पर दुनिया नाप रही है और सास रसोई में खाना बनाने से लेकर कपड़े धोने तक की जिम्मेदारी निभा रही है। यह बदलता सामाजिक ताना-बाना अब केवल घरेलू नोकझोंक या शिकायतों तक सीमित नहीं रहा। यह अब उस खूनी दहलीज पर आ खड़ा हुआ है, जहाँ रिश्ते तार-तार हो रहे हैं और आँगन में लाशें बिछ रही हैं। भोजपुर जिले में हाल में घटी तीन दिल दहला देने वाली घटनाओं ने इस कड़वी हकीकत पर मुहर लगा दी है।

जब मामूली विवादों ने ले ली जान

सास-बहू के झगड़े हर घर की कहानी माने जाते थे, लेकिन भोजपुर में यह कहानी खौफनाक पटकथा में बदल गई है। यहाँ मामूली विवादों की आग इतनी भड़की कि उसने रिश्तों को ही जलाकर राख कर दिया।

घटना 1: बहू के मायके वालों ने सास को मारी गोली

संदेश थाना क्षेत्र के तीर्थकौल गांव में एक आशा स्वास्थ्य कर्मी मनोरमा देवी को सिर्फ इसलिए गोली मार दी गई क्योंकि उनका अपनी बहू से विवाद था। विवाद इतना बढ़ा कि बहू के मायके वालों ने अपनी समधिन (मनोरमा देवी) को खत्म करने की सुपारी दे डाली। पुलिस ने जब बहू के पिता रमुन कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया, तो उसने इस खौफनाक साजिश में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। यह घटना दिखाती है कि अब झगड़ा सिर्फ दो लोगों के बीच नहीं, बल्कि दो परिवारों के बीच खूनी दुश्मनी का रूप ले रहा है।

घटना 2: सीढ़ी चढ़ने पर विवाद, पत्थर से कुचलकर सास की हत्या

कल्पना कीजिए, घर की एक लोहे की सीढ़ी किसी की मौत का कारण बन सकती है? संदेश थाना क्षेत्र के कोरी गांव में यह अविश्वसनीय घटना घटी। 70 वर्षीय मालती देवी जब छत पर गेहूं सुखाने के लिए सीढ़ी चढ़ रही थीं, तो उनकी छोटी बहू नीलम देवी ने इसका विरोध किया। बात इतनी बढ़ी कि नीलम ने अपनी बुजुर्ग सास को पत्थर से कुचलकर मौत के घाट उतार दिया। इस घटना ने समाज को झकझोर दिया है कि रिश्तों में सहिष्णुता और सम्मान इस हद तक खत्म हो चुका है।

घटना 3: पैसे के लिए बेटे-बहू ने माँ को मार डाला

मुफस्सिल थाना क्षेत्र के जमीरा गांव में रिश्तों के कत्ल की एक और शर्मनाक कहानी लिखी गई। यहाँ एक कलयुगी बेटे ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर सिर्फ चंद रुपयों के लिए अपनी 62 वर्षीय माँ देवंती देवी की पीट-पीटकर हत्या कर दी। जिस माँ ने उसे जन्म दिया, पाला-पोसा, उसी के खून से बेटे और बहू ने अपने हाथ रंग लिए।

क्यों आ रहा है रिश्तों में यह भूचाल?

समाजशास्त्री एके सिंह इन घटनाओं को भारतीय पारिवारिक मूल्यों के लिए "खतरे की घंटी" बताते हैं। उनका मानना है कि इसके पीछे कई गहरे कारण हैं:

संवादहीनता: परिवारों में अब संवाद की जगह मोबाइल ने ले ली है। लोग एक छत के नीचे रहकर भी एक-दूसरे से मीलों दूर हैं।

घटता सम्मान और बढ़ती महत्वाकांक्षा: नई पीढ़ी में धैर्य की कमी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की चाहत इतनी हावी है कि वे किसी भी तरह का बंधन या रोक-टोक बर्दाश्त नहीं कर पाते।

आर्थिक दबाव: पैसों की तंगी और संपत्ति के विवाद इन झगड़ों में आग में घी का काम कर रहे हैं।

भोजपुर की ये तीन हत्याएं सिर्फ अपराध के आंकड़े नहीं हैं, बल्कि यह उस सामाजिक पतन का आईना हैं जहाँ "सास भी कभी बहू थी" का भावनात्मक रिश्ता अब "तू मेरी दुश्मन" की खूनी हकीकत में बदल चुका है। अगर समय रहते समाज ने इस दरकते पारिवारिक ताने-बाने को नहीं संभाला, तो न जाने कितने और घरों के आँगन रिश्तों के खून से लाल होंगे।

सामाजिक बदलाव और चुनौतियां

समाजशास्त्री प्रो. एके सिंह का कहना है कि सास-बहू के रिश्तों में तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन इनका हिंसक रूप लेना चिंताजनक है। पहले ये विवाद घरेलू कलह तक सीमित रहते थे, लेकिन अब ये हत्या और हिंसा तक पहुंच रहे हैं। पारिवारिक संवाद की कमी, आपसी सम्मान में कमी और आर्थिक दबाव इन झगड़ों को और भड़का रहे हैं। यह भारतीय पारिवारिक मूल्यों के लिए खतरे की घंटी है।

 ये घटनाएं हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर परिवार, जो समाज की आधारशिला है, इतना हिंसक क्यों हो रहा है? क्या आधुनिकता के नाम पर हम अपनी जड़ों से कट रहे हैं? सास-बहू का रिश्ता, जो कभी परंपरा और एकता का प्रतीक था, आज नफरत और हिंसा का पर्याय बनता जा रहा है। समाज को इन घटनाओं से सबक लेते हुए आपसी संवाद और समझ को बढ़ावा देना होगा, ताकि परिवार फिर से प्यार और विश्वास का केंद्र बन सके।

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