डबल इंजन वाली प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार में अनिर्णय और असमंजस की स्थिति के कारण नहीं हो पा रहे हैं फैसले!

Update: 2025-06-15 16:52 GMT
डबल इंजन वाली प्रदेश की   भजनलाल शर्मा सरकार में अनिर्णय और असमंजस की स्थिति के कारण  नहीं हो पा रहे हैं फैसले!
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जयपुर।डबल इंजन वाली प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार में अनिर्णय और असमंजस की स्थिति के कारण फैसले नहीं हो पा रहे हैं।   हालात यह है कि पहले से ही भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस)अधिकारियों की कमी से जूझ रही राजस्थान सरकार में 45 आईएएस अधिकारियों के पास 70 से अधिक विभागों का अतिरिक्त प्रभार है।

 प्रदेश में 332 आईएएस अधिकारियों का कैडर है,लेकिन 264 अधिकारी ही प्रदेश में तैनात हैं। इनमें से भी करीब दो दर्जन आईएएस अधिकारियों के केंद्र सरकार,अपने गृह राज्य एवं पढ़ाई के लिए विदेश जाने और लंबे अवकाश पर होने के कारण राज्य सरकार का प्रशासनिक कामकाज अधिकांश विभागों में ठप्प पड़ा है। महत्वपूर्ण विभागों में अधिकारियों के पद खाली पड़े हे .

केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का सही तरह से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। सीएम शर्मा बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन को लेकर लगातार समीक्षा तो कर रहे हैं,लेकिन महत्वपूर्ण विभागों में अधिकारियों के पद खाली होने से फैसले नहीं हो रहे हैं। अधिकारी पिछले तीन महीनों से आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की तबादला सूची का इंताजार कर रहे हैं। तबादला सूची जारी नहीं होने से अधिकारियेां में असमंजस है।

कामकाज नहीं कर पा रहे

 असमंजस और अनिर्णय के हालात प्रशासनिक स्तर पर ही नहीं राजनीतिक फैसलों में भी नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक एवं जातिगत समीकरणों को साधने के लिए भाजपा के सात नेताओं को विभिन्न बोर्ड एवं निगमों में अध्यक्ष बनाकर राजनीतिक नियुक्तियां दी गई थी। लेकिन अब तक इन्हे केबिनेट अथवा राज्य मंत्री का दर्जा नहीं दिया गया है। ऐसे में अध्यक्ष बनाए गए नेता सही तरह से कामकाज नहीं कर पा रहे हैं।

कानून व्यवस्था का जिम्मा भी अतिरिक्त प्रभार के भरोसे

पिछले सप्ताह पुलिस महानिदेशक पद पर कार्यरत आईपीएस अधिकारी यू.आर.साहू को राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। साहू के इस्तीफे के बाद राज्य में पुलिस महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के रवि प्रकाश मेहरड़ा को सौंपा गया है,वे खुद इस माह के अंत में सेवानिवृत होने वाले हैं। मेहरड़ा को अतिरिक्त प्रभार देने के फैसले को पुलिस विभाग में आश्चर्यजनक माना जा रहा है।

जनता से जुड़े विभागों में अटका काम

आम जनता से जुड़े बिजली विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव,अक्षय उर्जा के अध्यक्ष,प्रदूषण नियंत्रण मंडल में अध्यक्ष,जल संसाधन योजना प्राधिकरण,इंदिरा गांधी नहर कैनाल विभाग,राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग में अध्यक्ष,सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में निदेशक,रीको में अध्यक्ष,जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड,राजफैड़,आपदा प्रबंधन विभाग,अध्यक्ष एवं प्रबंधन निदेशक जयपुर मेट्रो,प्रमुख सचिव देवस्थान विभाग,अध्यक्ष राजस्थान कर बोर्ड एवं अध्यक्ष ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र विकास एजेंसी,प्रमुख सचिव सांख्यिकी विभाग,मुख्य कार्यकारी आमेर विकास प्राधिकरण,आयुक्त पर्यटन विभाग,अध्यक्ष राजस्थान पर्यटन विकास निगम,अध्यक्ष राजस्थान कौशल एवं आजीविका मिशन,सचिव कौशल एवं उधमिता विभाग,शासन सचिव पंचायती राज विभाग,दिल्ली में राज्य सरकार के आवासीय आयुक्त,आयुक्त परिवहन विभाग,सचिव राज्य बस सेवा प्राधिकरण,सचिव शांति एवं अहिंसा विभाग,अध्यक्ष राज्य बीज निगम,आयुक्त वाणिज्य कर विभाग,विशेष सचिव स्कूल शिक्षा,विशेष सचिव पंचायती राज व प्रारंभिक शिक्षा,विशेष सचिव गृह विभाग,आयुक्त दिल्ली-मुंबई कोरिडोर,अध्यक्ष बीकानेर विकास प्राधिकरण,अध्यक्ष हाथकरघा निगम,संयुक्त सचिव वित्त विभाग,आयुक्त बाल अधिकारिता विभाग,अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज्य स्वास्थ्य आश्वासन एजेंसी सहित कुल 70 विभाग अतिरिक्त प्रभार के भरोसे चल रहे हैं। इन विभागों में स्थाई अधिकारी नहीं होने से कई महत्वपूर्ण फैसले नहीं हो पा रहे हैं। 

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