बिजोलिया में बहुत बडा पर्यटन हब बनने की संभावना

By :  vijay
Update: 2024-10-19 12:04 GMT

भीलवाड़ा पुरा- प्राचीन वैभव महोत्सव के चतुर्थ दिवस बिजोलिया के क्षेत्र में आदि मानव द्वारा बनाये गये दस हजार से अधिक वर्ष पुराने शैैल भित्ती चित्र रॉक पेंटिंग के अन्वेषण निरीक्षण अवलोकन कर राजकीय विद्यालय में महोत्सव मनाया।

जलधारा विकास संस्थान के अध्यक्ष महेश चन्द्र नवहाल ने बताया कि सर्वप्रथम झरिया महादेव बिजोलिया में रॉक पेंटिंग पर शोध व अन्वेषण कार्य किया । यह शोध व अन्वेषण बूंदी के प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता ओमप्रकाश कुकी के नेतृत्व में पहाड़ी क्षेत्र की गुफाओं में बनाई हुई सेल चित्र राॅक पेंटिंग का अवलोकन किया गया। यह पेंटिंग 10 से 20000 वर्ष पुरानी है । इन सेल पेंटिंग की कार्बन डेटिंग होने पर वास्तविक अवधि ज्ञात हो सकती है परंतु यह पाषाण कालीन होने का अनुमान लगाया जाता है। इन गुफाओं में मानव जनजीवन ने अपने बच्चों को सीखाने के लिए विभिन्न पशुओं, फूलों व शिकार और अपने मनों को मुखरित करते हुए विभिन्न प्रकार के चित्र बनाए हैं। यह गुफाएं मानव के प्रारंभिक जनजीवन के इतिहास को बताती है।



 

तत्पश्चात राजकीय विद्यालय बिजोलिया में गौरवगान एवं संरक्षण कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस कार्यशाला में बोलते हुए पुरातत्व अन्वेशी ओमप्रकाश कुकी ने कहा कि बिजोलिया अपने आप में एक विशिष्ठता से भरा स्थान है। एक और यहां विभिन्न प्रकार की भू आकृतियां धरोहर से कम नहीं है तो दूसरी तरफ इस पूरे क्षेत्र में राॅक पेंटिंग का भंडार है । यह राॅक पेंटिंग हजारों वर्षों पहले आदि मानव द्वारा बनाई हुई है । इन रॉक पेंटिंग को देखने के लिए विदेश से भी लोग आते हैं परंतु स्थानीय स्तर पर पर्यटन संरक्षण कार्य का गौर अभाव है। इन रॉक पेंटिंग की साइट का ज्यों -ज्यों लोगों को पता चल रहा है वह अपने हस्ताक्षर कोयला रंगों से अपनी मर्जी से चित्र बना रहे हैं । यह रोग पेंटिंग पर्यटन का एक बहुत बड़ा आधार बन सकती है क्योंकि यह राॅॅक पेंटिंग बहुत कम स्थान पर है ।तीसरा इस पूरे क्षेत्र में 10वीं 11वीं 12वीं शताब्दी के मंदिर है । जिसमें महाकाल , हजारेश्वर मंदिर उन्डेश्वर मंदिर और मंदाकिनी कुंड है ।यह मंदिर समूह अपने आप में सौंदर्य शिल्प का अद्भुत स्थान रखता है । इसके आसपास ऐसे कई स्थल है जिनका संरक्षण किया जाना आवश्यक है । इस पूरे क्षेत्र में कई झरने हैं जिसमें भड़क , भीमलत और मेनाल उसके अलावा भी यहां पर कई झरने हैं जो अपने आप अपने सौंदर्य से मनमोहन लेते हैं। इस क्षेत्र में भगवान पार्श्वनाथ ने ने तपस्या की थी ।

जलधारा विकास संस्थान के अध्यक्ष महेश नवहाल ने कहा कि भीलवाड़ा पुरा प्राचीन वैभव महोत्सव का अंतिम दिवस बिजोलिया में किया जा रहा है ताकि इस क्षेत्र के अछूते पृष्ठ को जन-जन में लाकर प्रचारित किया जा सके। यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इस पर्यटन में देसी विदेशी दोनों प्रकार के पर्यटक शामिल हो सकते हैं। इस पूरे क्षेत्र में ऐसी कई विशेषताएं हैं जो पुरा एवं प्राचीन है। मंदिर ,प्राकृतिक भू आकृतियां , रॉक पेंटिंग बरबस ही पर्यटक खींच सकते हैं। भू वैज्ञानिक प्रोफेसर केके शर्मा ने इस प्रस्तर भू आकृतियों एवं इस स्थान की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बिजोलिया बूंदी भूभाग विंध्याचल के सुपर ग्रुप सेंड स्टोन का प्रतिनिधित्व करता है। यह क्षेत्र अनेक पुरा पाषाण कालीन गुफा चित्रों ,मोनोलिथ और प्रारंभिक मानव द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले प्रस्तर औजारों से समृद्ध है ।यहां कनेर की पुतली, मेनाल शिव मंदिर जैन मंदिर, शिलालेख , क्षतिग्रस्त दुर्ग ,आठवीं से 12वीं शताब्दी के मध्य विभिन्न विरासत स्मारक दर्शनीय है । यहां 1170 ई के दो संस्कृत शिलालेख स्थापित है एक शिलालेख में अजमेर के चौहान वंशावली है जबकि पारसनाथ मंदिर के द्वारा के निकट स्थापित दूसरे शिलालेख में उत्तम शिखर पुराण नामक एक जैन कविता उत्कीर्ण है। बिजोलिया से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर तीर्थंकर पार्श्वनाथ जैन मंदिर स्थापित है ।इसका निर्माण नरेश सोमेश्वर के काल में 1170 में कराया गया था। कनेर की पतली यह बिजोलिया के जल अपरदन द्वारा निर्मित गहरी घाटी में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है । गर्भग्रह में शिवलिंग स्थापित है। यह स्थान दुर्लभ एवं यहां कई विशिष्ट मूर्तियां मौजूद है। भीमलत क्षेत्र शैल श्रेणियां और सेल चित्रों का खजाना है। यहां प्रागैतिहासिक शैलाश्रय और चित्रकलाओं के लिए यह क्षेत्र जाना जाता है। इस क्षेत्र में बू्न्दी के ओमप्रकाश कुकी द्वारा भीलवाड़ा कोटा बूंदी के बिजोलिया क्षेत्र में 400 से अधिक शैल चित्रकला की पहचान की जा चुकी है। इन शैल चित्रों में मनुष्य ,नीलगाय सदस्य पशु, हथियार ,नृत्य, पक्षी अन्य आकृतियों को दिखाया गया है । कहीं-कहीं में बांये हाथ में धनुष तीर पड़े हुए भी व्यक्तियों को दिखाया गया है। इस पूरे क्षेत्र में श्री कुकी द्वारा किए गए कार्यों को लेकर गौरव गान संरक्षण कार्यशाला में श्री ओम प्रकाश कुकी का अभिनंदन किया गया।

गौरवगान व संरक्षण कार्यशाला में डॉक्टर अभिषेक श्रीवास्तव ने इस क्षेत्र में पर्यटन को और बढ़ाने की आवश्यकता पर बोल दिया जिससे स्थानीय रोजगार व आय बढ़ सके। स्थानीय जनप्रतिनिधि हितेंद्र राजोरा ने इस क्षेत्र के पर्यटन व संरक्षण को बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया। विद्यालय परिवार की ओर से श्री दिलीप सिंह व सुरेन्द्र सिंह पुरावत आदि ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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