बरुन्दनी की घाँस बाबजी की सवारी को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी
आकोला (रमेश चंद्र डाड )
बरुन्दनी की घाँस बाबजी की सवारी को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी रविवार की मध्य रात्री विशेष पूजा अर्चना के बाद शुरू हुई |
परम्परानुसार रविवार की दोपहर हथाई पर पँच पटेलों के निर्णय के बाद बबूल का पेड़ काट कर बबूल की लकड़ी से सुथार परिवारों के कारीगरों ने चोखट बनाई। देर रात 11 बजे ढोल नगाड़ों के साथ पँच पटेल हथाई से चोखट लेकर घाँस बाबजी के स्थानक पर पहुँचे। घाँस बाबजी की पूजा अर्चना कर चांवल के कांसे का भोग लगाया। मध्य रात्री फतह सागर के समीप घाँस बाबजी के स्थानक से शुरू हुई घाँस बाबजी की सवारी सोमवार की तड़के वापस घाँस बाबजी के स्थानक पहुँची।
परम्परानुसार सेन परिवार के युवकों ने चिराग (मशाल)जलाकर घुमाई। बैलों की हुड़दंग व नाई की जलती चिराग से कई जने जख्मी भी हुए फिर भी घाँस बाबजी को देखने के उत्साह में कोई कमी नही रही कोटड़ी,हमीरगढ़, तखतपुरा,ओजियाड़ा,नंदराय, सिंगोली,धाकड़ खेड़ी,जोजवा, बिछोर, पारसोली, सराणा, मांडलगढ़, चित्तौड़गढ़, बड़लियास , बेगूँ सहित आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में दर्शक आए। घाँस बाबजी की सवारी को बैल जोड़ियों को खिंचवाने में इतना जुनून होता है कि ग्रामीण बैल जोड़ी को 2 दिन पहले से ही सजाने लग जाते हैं