छठ महापर्व: नहाय खाए से शुरू हुआ पर्व, आज खेरना,कल अस्ताचल सूर्य को देगे अर्घ्य, छठ मैया के गीतों की गूंजे

Update: 2024-11-05 18:20 GMT

भीलवाड़ा हलचल) वस्त्र नगरी में बिहार यूपी के साथी पूर्वांचल के लोगों का सबसे बड़े पर छठ की शुरुआत हो गई है आज नहाए खाए के साथ शुरू हुए इस पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह हे।

छठ को लेकर पारंपरिक पुराने गीत कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, महिमा बा अगम अपार हे छठ मइया, उगऽ हे सूरजदेव अरघ के बेरिया,’ दर्शन देहू न अपार हे दीनानाथ. ‘केलवा जे फरेले घवद से वोह पर सुगा मडऱाए, बाबा कांचे-कांचे बंसवा कटाई दीह फरा फराई दीह ‘ घटवा पर बाजे बजनमा पारंपरिक छठ गीत आज भी सुपरहिट हैं। दर्जनों अलबम निकल रहे पर पुराने गीतों की मांग आज भी पसंद किए जा रहे हैं। छठ महापर्व को लेकर ये पारंपरिक गीत आज भी गूंज रहे हैं। छठ पूजा का पर्व बिहार समेत देश के कई भागों में मनाया जाता है। यह पर्व अब भीलवाड़ा में भी खूब मनाया जाने लगा है। यूपी पूर्वाचल व बिहार की महिलाएं मनाती हैं। कार्तिक मास की अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यानी दीवाली के बाद वाली छठ को सूर्य उपासना का पर्व मनाया जाता है। इस साल छठ पूजा आज से शुरू होकर 8 नवंबर तक मनाया जाएगा। चार दिवसीय छठ पूजा का पर्व पूरे देश में शुरू हो चुका है। लोग घाटों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। उत्तर भारत का प्रमुख पर्व छठ पूजा को लेकर भीलवाड़ा मे अभी से जोरदार तैयारियां शुरु हो गई है। इस दिन व्रती दिन में एक बार खाना खाना होता है। इसके लिए कद्दू या सीताफल की सब्जी और पूरी व खीर ही खाई जाती है। खरना में जो प्रसाद तैयार किया जाता है उसके लिए नया चूल्हा या साफ सुथरी रसोई का ही इस्तेमाल किया जाता है। कुछ लोग आम की लकड़ी से ही खाना पकाते हैं। खरना के दिन से ही व्रत शुरू होना माना जाता है।

7 नवंबर सायंकालीन सूर्य को अघ्र्य

7 नवंबर को पूरा दिन व्रत रखने के बाद व्रती शाम को डूबते सूर्य को अघ्र्य देते हैं और रात भर जागकर सूर्य देवता के जल्दी उदय होने की कामना करते हैं। व्रती को सूर्योदय तक पानी तक नहीं पीना होता। इसीलिए इस व्रत को काफी कठिन व्रत माना जाता है। व्रत के आखिरी दिन 8 नवंबर को जब उगते सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। अर्घ्य देने के बाद ही व्रती पारण करता है और प्रसाद ग्रहण करता है। इस अवसर पर छठी मइया यानी भगवान सूर्य से आशीर्वाद के लिए बहुत से लोग सपरिवार व्रत रखते हैं।

Similar News