भीलवाड़ा हलचल। शहर में पतंगबाजी का सीजन शुरू होते ही चाइनीज मांझे का अवैध कारोबार फिर से तेजी पकड़ गया है। प्रशासन और नगर निगम की निष्क्रियता के चलते यह धारदार मांझा खुलेआम बाजारों में बिक रहा है। पतंगबाज़ों के लिए आकर्षक, लेकिन बाइक सवारों, राहगीरों और पक्षियों के लिए जानलेवा यह मांझा हर साल गंभीर हादसों का कारण बनता है।
चाइनीज मांझा क्या है?
चाइनीज मांझा प्लास्टिक और धातु के मिश्रण से बनाया जाता है और सामान्य मांझों की तुलना में काफी धारदार होता है। यह इलेक्ट्रिक कंडक्टर भी है, यानी इसके संपर्क में आने पर करंट का खतरा रहता है। आसानी से टूटने न के कारण यह पक्षियों और इंसानों के लिए गंभीर खतरा बनता है।
कैसे तैयार होता है चाइनीज मांझा?
यह मांझा नायलॉन और मेटलिक पाउडर से तैयार किया जाता है, जिसमें एल्युमिनियम ऑक्साइड और लेड मिलाया जाता है। इसके ऊपर कांच या लोहे के चूरे से धार लगाई जाती है। स्ट्रेचेबल होने के कारण खींचने पर यह बढ़ता है और टूटता नहीं। पतंग उड़ाते समय इसके धार और कंपन की वजह से यह अत्यंत घातक साबित होता है।
भीलवाड़ा में हालात
शहर की प्रमुख पतंग दुकानों पर जांच में हालात चौंकाने वाले पाए गए। कई दुकानदार बिना झिझक रोल थमा रहे हैं, जबकि कुछ ऑर्डर पर आधे घंटे में मांझा मंगवाने को तैयार हैं। बुधवार शाम बंसल रोड पर एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जब चाइनीज मांझा दो बाइक सवारों के वाहन में फंस गया।
कानूनी प्रावधान और प्रतिबंध
भारत में चाइनीज मांझे पर पूरी तरह प्रतिबंध है। इसके तहत:
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 15: 5 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये तक जुर्माना।
भारतीय दंड संहिता की धारा 188: 6 महीने तक की सजा या जुर्माना।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11: 50,000 रुपये तक जुर्माना और 5 साल की सजा।
इसके बावजूद अवैध बिक्री जारी है। प्रशासन और नगर निगम की सुस्ती के कारण शहरवासियों की सुरक्षा खतरे में है। विशेषज्ञ और नागरिक दोनों इस जानलेवा मांझे के खिलाफ ठोस कदम उठाने की अपील कर रहे हैं।
