लॉटरी में भारी गड़बड़ी उजागर,: यूआईटी की 3081 भूखंडों की योजना पर सवाल, फिर से लॉटरी की मांग तेज

Update: 2025-12-20 03:21 GMT


भीलवाड़ा हलचल । नगर विकास न्यास द्वारा मंत्री की मौजूदगी में 16 अक्टूबर को निकाली गई आठ आवासीय योजनाओं की ऑनलाइन लॉटरी अब विवादों के घेरे में आ गई है। 3081 भूखंडों के लिए कराई गई इस लॉटरी में गंभीर तकनीकी खामियां सामने आने के बाद अब तक उठ रही गड़बड़ी की आशंकाएं सही साबित होती नजर आ रही हैं। मामले के उजागर होते ही लॉटरी को रद्द कर दोबारा निष्पक्ष प्रक्रिया से नई लॉटरी कराने की मांग तेज हो गई है।

जानकारी के अनुसार लॉटरी प्रक्रिया के दौरान यस बैंक की ओर से की गई डाटा फीडिंग और आवेदन पत्र छापने वाली फर्म सुराणा प्रिंटिंग प्रेस की लापरवाही से बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं। कई आवेदकों के आधार नंबर डुप्लीकेट दर्ज हो गए। जांच में यह भी सामने आया कि कुछ आधार नंबर बारह अंकों से अधिक थे, कुछ अमान्य थे और कई मामलों में अंकों में अंतर पाया गया। इससे पूरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए।

इतना ही नहीं, फीडिंग और मिसप्रिंटिंग की त्रुटियों के कारण करीब 125 आवेदन पत्रों के सीरियल नंबर भी डुप्लीकेट हो गए। यस बैंक की टीम ने डाटा एंट्री के दौरान कई आवेदकों की श्रेणी ही बदल दी, जिससे पात्र और अपात्र का फर्क खत्म होता नजर आया। इन तमाम गंभीर गड़बड़ियों का उल्लेख यूआईटी ने नगरीय विकास विभाग को भेजी गई अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट में किया है।

दरअसल इस लॉटरी को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भीलवाड़ा प्रथम में दीपक कुमावत की ओर से परिवाद दर्ज कराया गया था। परिवाद क्रमांक सीएचए 288 25 के तहत नगरीय विकास विभाग ने यूआईटी से पूरे मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब की थी। उसी रिपोर्ट के सामने आने के बाद लॉटरी प्रक्रिया में हुई खामियों की परतें खुलती चली गईं।

स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पात्र आवेदकों को लॉटरी प्रक्रिया से वंचित न रखा जाए, इसके लिए यूआईटी को जयपुर विकास प्राधिकरण को संबंधित आवेदकों के छाया आधार नंबर तक उपलब्ध कराने पड़े। तकनीकी त्रुटियों के बावजूद इन्हें लॉटरी में शामिल करने की मजबूरी ने पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर और बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

गौरतलब है कि यूआईटी ने कुल 3081 भूखंडों के लिए लॉटरी आयोजित की थी, जिसमें 90 हजार से अधिक आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे। इन सभी आवेदनों की डिटेल की एक्सेल फाइल तैयार करने की जिम्मेदारी यस बैंक को सौंपी गई थी। लगभग एक माह में यह कार्य पूरा किया गया, लेकिन इसी दौरान सबसे ज्यादा लापरवाही और त्रुटियां सामने आईं।

लॉटरी को लेकर आमजन और आवेदकों में भारी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि जब इतनी गंभीर तकनीकी गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं, तो ऐसी लॉटरी को निरस्त कर पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से दोबारा लॉटरी निकाली जानी चाहिए। ताकि नगर विकास न्यास पर जनता का भरोसा बना रह सके और पात्र लोगों के साथ कोई अन्याय न हो।

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