अनूठी उपवास पदयात्रा: नींबू पानी और शहद के आहार पर सांवलिया सेठ जा रही पैदल यात्रा का भीलवाड़ा में स्वागत

Update: 2024-12-04 07:49 GMT

भीलवाड़ा (प्रहलाद तेली) । पैदल यात्रा का आयोजन आमतौर पर हर क्षेत्र में होता रहता है, लेकिन केकड़ी में इस बार अनूठी उपवास आधारित पैदल यात्रा शुरू हुई है जो बुधवार को भीलवाड़ा से होकर गुजरी। इस पदयात्रा में 116 साधक शामिल है जो 7 दिन की पैदल यात्रा में प्रतिदिन 30 से 35 किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं। आहार के रूप में सिर्फ नींबू पानी और शहद का ही सेवन कर रहे हैं। वह भी दिन में सिर्फ दो बार। खास बात यह है कि इन 116 जनों में ज्यादातर की उम्र 70 वर्ष से अधिक है। यहां सिंदरी के बालाजी और भीलवाड़ा में टंकी के बालाजी के यहां पदयात्रा का स्वागत हुआ। मानस योग साधना संगठन के द्वारा इस पदयात्रा का स्वागत किया गया।

संगठन के पदाधिकारी भंवरलाल पाराशर, प्रसिद्ध कवि योगेंद्र शर्मा, आशुतोष आचार्य, हरीश पवार, ललित जोशी, हरीश बाहेती द्वारा स्वागत किया गया। यहां से यह पदयात्रा पुर के क्यारा के बालाजी मंदिर में रात्रि विश्राम करके अपने गंतव्य सांवलिया सेठ की ओर प्रस्थान करेगी। यह यात्रा चौथे दिन भीलवाड़ा से होकर निकली है और सातवें दिन सांवलिया सेठ पहुंचेगी। केकड़ी से रवाना हुई यह पदयात्रा तकरीबन 225 किलोमीटर की है। यात्रा के प्रेरक और मार्गदर्शक इंटरनेशनल संगठन का साइंटिफिक स्पिरिचुअलिज्म मेरठ के गोपाल शास्त्री हैं जो तप सेवा और सुमिरन पर आधारित साधना करवाते हैं। केकड़ी में बढ़ते कदम संस्थान के संयोजन में यह पदयात्रा निकाली जा रही है। जिसमें राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि से साधक शामिल हुए हैं। इस पैदल यात्रा का विभिन्न क्षेत्रों में जोरदार स्वागत किया गया। यात्रियों का माल्यार्पण किया गया। गांव में उपवास के महत्व को बताया जा रहा है। इसमें भोजन में शक्ति होने के मिथक को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। व्यक्ति संयमित आहार लेकर और साथ ही उपवास के जरिए अपने जटिल और असाध्य रोगों को दूर करते हुए स्वस्थ जीवन जी सकता है। डॉ शास्त्री ने कहा कि उपवास जटिल व असाध्य रोगों से उबरने में कारगर है।

इस यात्रा में सुबह-शाम केवल नींबू-पानी व शहद के सहारे पदयात्रियों द्वारा सात दिन तक पैदल चलकर स्वास्थ्य रूपी संजीवनी के द्वारा जीवनी शक्ति को प्रबल किया जाता है। इस बार यह पदयात्रा केकड़ी से सांवलिया सेठ तक निकाली गई है। साल में एक बार यह पदयात्रा देश में कहीं ना कहीं आयोजित होती है। संयोजक कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने बताया कि प्राकृतिक जीवन शैली के वैज्ञानिक सिद्धांतों की प्रामाणिकता को उजागर करने के उद्देश्य से यह जन जागृति पदयात्रा हर साल अलग-अलग स्थानों पर आयोजित की जाती है, ताकि समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर कर, व्रत और आध्यात्मिक शक्ति को समझाया और दिखाया जा सकें। उन्होनें कहा कि उपवास और आध्यात्म के वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझकर, उनके प्रयोग से जीवन में रोग व चिंताएं दूर कर अखंड स्वास्थ्य, शक्ति, आनंद, ज्ञान, और प्रेम सहज ही प्राप्त किया जा सकता है।

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