आज मनाई जा रही है देव दीपावली

Update: 2025-11-05 07:19 GMT

भीलवाड़ा। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि बुधवार को पूरे राजस्थान सहित देशभर में देव दीपावली का पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। मान्यता है कि देव उठनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता दीप जलाकर दीपावली का उत्सव मनाते हैं। इस कारण इसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालु अपने घरों में दीपक जलाकर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देव दीपावली पर विषम संख्या में दीप जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। लोग 5, 7, 11, 21, 51 या 101 दीपक जलाते हैं। कुछ श्रद्धालु 365 बातियों वाला अखंड दीपक भी जलाते हैं और प्रार्थना करते हैं कि जैसे देवता आज दीपावली मना रहे हैं, वैसे ही हमारे घर में भी पूरे वर्ष सुख-समृद्धि बनी रहे।

 कहां-कहां जलाएं दीपक

 * पूजा स्थल: घर के मंदिर या पूजा स्थान पर दीपक जलाने से समृद्धि और सकारात्मकता आती है।

*मुख्य द्वार: मुख्य दरवाजे पर दीपक जलाने से घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।

* आंगन और रसोई: इन स्थानों पर दीपक जलाने से परिवार में शांति और सौहार्द बना रहता है।

* तुलसी का पौधा: तुलसी के पास दीपक जलाना शुभ और पवित्र माना गया है।

* शिवजी के लिए विशेष दीपक: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए 8 या 12 मुखी घी का दीपक जलाना मंगलकारी होता है, जिससे सभी कष्ट दूर होते हैं।

* पवित्र नदी में दीपदान: गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में दीपदान करने से पापों का क्षय होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

क्या फल मिलता है देव दीपावली के दीपदान से

* समृद्धि और सुख का आगमन होता है।

* नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।

* आर्थिक तंगी और परेशानियां कम होती हैं।

* रोग और संकटों से राहत मिलती है।

* दोषों का नाश होता है और शांति प्राप्त होती है।

* मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

वैदिक ज्योतिषियों के अनुसार, देव दीपावली पर घी का दीपक जलाना सबसे शुभ माना गया है। यदि घी का दीपक उपलब्ध न हो तो तिल या सरसों के तेल का दीपक भी जलाया जा सकता है। धार्मिक आचार्य बताते हैं कि दीपक जलाते समय मन में भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति का भाव सबसे महत्वपूर्ण होता है।

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