धर्म से जुड़ने के लिए भक्ति आवश्यक है: साध्वी डॉ. संयमलता

Update: 2024-12-30 10:51 GMT

आसींद ! भक्ति श्रद्धा, विश्वास और निष्ठा के साथ की जाए तो भक्तों को भगवान मिल सकते है। भक्ति दो तरह से होती है एक भक्ति स्वार्थ की और दूसरी निस्वार्थ भक्ति। स्वार्थ से की गई भक्ति से कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। श्रद्धा,विश्वास और निष्ठा के साथ की गई भक्ति से भगवान प्राप्त हो सकते है। सबरी ने भगवान राम की, चंदनबाला ने भगवान महावीर की, मीरा ने भगवान कृष्ण की भक्ति करके भगवान को प्राप्त किया है। जिसके घर में धर्म है वहां पर धन आता ही आता है। उक्त विचार आसींद क्षेत्र के चेनपुरा ग्राम में श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया साध्वी डॉ. संयमलता म.सा.ने व्यक्त किए उनके साथ विराजित साध्वी डॉ. अमित प्रज्ञा, डॉ.कमल प्रज्ञा, सौरभ प्रज्ञा के सानिध्य में जैन धर्म के 23 वे तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का बोरदिया परिवार ने सामूहिक अनुष्ठान करवाया।

धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने कहा कि तन्मयता के साथ हर असंभव कार्य भी संभव बन जाता है। एकाग्रता के अभाव में प्रार्थना, प्रार्थना नहीं केवल प्रदर्शन एवं दिखावा मात्र रह जाती है। सच्ची आस्था हो तो रास्ता निकल जाता है और रास्ता मिल जाए तो उसे परमात्मा से वास्ता बनाने में देर नहीं लगती।

साध्वी ने कहा कि जिस दिन श्रद्धा का दीप बुझ जाएगा,उस दिन संसार मर जाएगा। क्योंकि जीवन की एक-एक ईट आस्था की नींव पर रखी गई है। बिना श्रद्धा के ना तो संसार चलता है और ना ही मुक्ति का द्वार खुलता है। आस्थावान व्यक्ति संसार में भटक नहीं सकता जैसे घोड़े की लगाम मालिक के हाथ में होती है वह घोड़ा भटक नहीं सकता। कितना भी दुख, पीड़ा,संकट आ जाए लेकिन प्रभु के प्रति आस्था मत खोना। उस समय हम यही चिंतन करें कि सुख-दुख के क्षण चले जाएंगे। श्रद्धा आपको प्रभु से मिलाने का काम करती है। श्रद्धा नौका है जो आपको किनारे तक पहुंचा देगी। श्रद्धा मीरा जैसी हो जिसके जहर का प्याला अमृत बन गया था। भक्ति के वश में श्री राम शबरी के झूठे बेर तक खा लेते हैं। श्रद्धा आपके जीवन की आस तथा प्यास बन जाए तो आप भी सुदर्शन बन जाएंगे। व्यर्थ यहां वहां मत भटको, वीतरागी की शरण को प्राप्त हो जाओ। लेकिन व्यक्ति की आस्था पदार्थों की ओर है परमात्मा की ओर नहीं। शक्ति से भक्ति नहीं होती बल्कि भक्ति से शक्ति आती है।

आसीन्द ,बदनोर, भीम , हैदराबाद, बारडोली, बैंगलोर, अहमदाबाद, मुंबई, सूरत, भीलवाड़ा, चित्तोड़, पुर सहित आस पास के क्षेत्र के अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहें। सम्पूर्ण कार्यक्रम का लाभ जवेरी लाल, कमलेश कुमार बोरदिया परिवार ने लिया। संचालन कमलेश बोरदिया ने किया। नव वर्ष पर 1 जनवरी को बदनोर संघ में बीजाक्षरी अनुपूर्वी अनुष्ठान एवं बड़े मंगलपाठ का आयोजन किया जायेगा। उसके पश्चात साध्वी मंडल का आसींद आने का कार्यक्रम है। आसींद संघ ने दीक्षा जयंती समारोह 19 जनवरी को आसींद में आयोजित करने की पुरजोर शब्दों में विनती की।

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