भीलवाड़ा गुर्जर के ‘टॉमी’ वाले बयान से सियासत में उबाल, भाजपा नेताओं ने किया पलटवार
भीलवाड़ा। जिले की सियासत में शनिवार रात एक भजन संध्या के मंच से ऐसा बयान आया जिसने पूरे राजनीतिक माहौल को गरमा दिया। कांग्रेस नेता और पूर्व राज्य मंत्री धीरज गुर्जर के भाई **नीरज गुर्जर** ने कोठाज गांव में आयोजित भजन संध्या के दौरान भाजपा में शामिल हुए सरपंचों पर तीखा हमला बोला।
नीरज गुर्जर ने कहा, “मेरे पाले हुए टॉमी भाजपा में चले गए। ये लोग वफादारी का मतलब भूल गए। राजनीति अवसरवाद नहीं, निष्ठा से चलती है।”
उनका यह बयान सुनते ही मंच पर मौजूद लोग सन्न रह गए, जबकि कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तालियां बजाकर उनका समर्थन जताया।
भजन संध्या के दौरान दिए गए इस विवादित बयान ने देखते ही देखते सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। वीडियो क्लिप्स व्हाट्सएप और फेसबुक पर वायरल होते ही भाजपा खेमे में तीखी प्रतिक्रिया शुरू हो गई।
**भाजपा सरपंचों का पलटवार**
भाजपा में शामिल सरपंचों ने नीरज गुर्जर के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। जीवा का खेड़ा सरपंच **शोभालाल जाट** ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा, “भीलवाड़ा के एक तुच्छ नेता ने सरपंचों को टॉमी कहा है। यह सरपंचों का अपमान है। अपनी भाषा संभाल लें, वरना जनता सड़क पर जूते पीट-पीट कर जवाब देगी।”
शोभालाल जाट के बयान के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी नीरज गुर्जर से माफी की मांग करते हुए कहा कि यह वक्तव्य लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और जनप्रतिनिधियों का अपमान दर्शाता है।
**भजन संध्या में की थी निष्ठा की बात**
कोठाज गांव में **श्री श्याम राधे युवा ग्रुप** की ओर से आयोजित भजन संध्या में नीरज गुर्जर ने अपने भाषण में पार्टी निष्ठा और कार्यकर्ता संस्कृति पर बात करते हुए कहा कि “जो कठिन समय में पार्टी का झंडा नहीं छोड़ते, वही असली कार्यकर्ता होते हैं।” उन्होंने पारोली के पूर्व सरपंच **अशोक नौसाल्या** और कुछ भाजपा नेताओं की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसे लोगों ने विपरीत हालात में भी पार्टी का साथ नहीं छोड़ा।
नीरज गुर्जर ने कहा कि “जो लोग मौके देखकर दल बदल लेते हैं, वे न तो किसी पार्टी में टिकते हैं और न सम्मान पाते हैं। ऐसे लोग केवल स्वार्थ से प्रेरित होकर राजनीति करते हैं।”
**स्थानीय राजनीति में मचा हंगामा**
इस बयानबाजी के बाद भीलवाड़ा की स्थानीय राजनीति में हड़कंप मच गया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि नीरज गुर्जर ने पार्टी की वफादारी और निष्ठा की बात कही है, जबकि भाजपा ने मुद्दे को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। दूसरी ओर भाजपा नेताओं का कहना है कि सार्वजनिक मंच से अपमानजनक शब्दों का प्रयोग निंदनीय है और इससे जनता की भावनाएं आहत हुई हैं।
अब यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है, और राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह बयानबाजी आगामी पंचायत और नगर निकाय चुनावों में दोनों दलों के बीच तनातनी को और बढ़ाएगी।
