शिक्षा सत्र में बड़ा फेरबदल ,अब 1 अप्रैल से शुरू करने की कवायद तेज

Update: 2025-10-17 07:14 GMT

 

 

राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र अब 1 अप्रैल से शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। यही नहीं, इस बार अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं भी 20 नवंबर से ही कराई जाएंगी, यानी सेकंड टेस्ट के महज 26 दिन बाद ही।

शिक्षा विभाग ने दिसंबर में प्रस्तावित अर्द्धवार्षिक परीक्षा को नवंबर में शिफ्ट कर दिया है। जल्द ही संशोधित शिविरा पंचांग जारी किया जाएगा। माना जा रहा है कि यह फैसला सीबीएसई के शैक्षणिक कैलेंडर से कदमताल मिलाने के लिए लिया गया है, ताकि सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाया जा सके।

लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह बदलाव शिक्षा सुधार की दिशा में ठोस कदम है या निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी व्यवस्था को ढालने की एक राजनीतिक रणनीति?

👉 आमतौर पर सत्र 1 जुलाई से शुरू होता है, लेकिन 1 अप्रैल से सत्र शुरू कर सरकार एक बड़ा नीतिगत बदलाव करने जा रही है।

👉 इसके ज़रिए शिक्षण दिवस 180 से बढ़कर 210–220 तक हो जाएंगे — यह नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप होगा।

👉 सीबीएसई कैलेंडर से तालमेल बिठाने की वजह से सरकार निजी स्कूलों को सीधी चुनौती देने की तैयारी में दिख रही है।

राज्य सरकार का मानना है कि इससे सरकारी स्कूलों में नामांकन दर में बढ़ोतरी होगी, लेकिन शिक्षक संगठनों में भी इस पर बहस तेज है। जयपुर में शिक्षा सचिव और शिक्षक संगठनों के बीच हुई बैठक में इस बदलाव की पूरी रूपरेखा साझा की गई, जहां संगठनों ने इसे समर्थन तो दिया, पर कई तकनीकी सवाल भी उठाए।

📅 इतना ही नहीं, राज्य स्तरीय शैक्षिक सम्मेलन की तारीखें भी बदली जाएंगी। अब यह 21–22 नवंबर के बजाय 12–13 दिसंबर को होगा।

📢 विपक्षी दलों ने सरकार पर ‘आकंड़ों का खेल’ खेलने और जमीनी हकीकत से आंख मूंदने का आरोप भी लगाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि गर्मी में सत्र शुरू करने से ग्रामीण इलाकों में उपस्थिति पर असर पड़ सकता है।

👉 यानी साफ है — शिक्षा का कैलेंडर सिर्फ डेट्स का फेरबदल नहीं, बल्कि सियासत की बिसात पर एक बड़ा ‘मूव’ बनता जा रहा है।


 

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