कलयुग केवल नाम अधारा ,सुमिर सुमिर नर उतरहु पारा- पंडित सुरेशानंद
भगवानपुरा ( कैलाश शर्मा ) बावड़ी वाले हनुमान मंदिर पर पिछले सात दिनों से चल रहे मूर्ति स्थापना कार्यक्रम में हवन पूजन के साथ श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवे दिन मंगलवार को सुदामा चरित्र को सजीव झांकी के साथ प्रस्तुत किया गया । वाकई में सुदामा जी की दीन दशा देखकर और भगवान कृष्ण स्वयं उनसे मिलने द्वार पर गए और उनके मित्र की व्यथा ( दशा ) देख करके भगवान कृष्ण की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने अपने आंसुओं के पानी से दोस्त सुदामा के चरणों को धोए इस दृष्टांत को देखकर पांडाल में उपस्थित समूचे भक्त महिलाएं पुरुष नर नारी बड़े बूढ़े सभी ने एक स्वर में कृष्ण सुदामा मिलन को देखकर अभिभूत हुए इसी के साथ कथा वाचक आचार्य पं सुरेशानंद शास्त्री ने कहा कि कलयुग में भगवान का ध्यान एवं पूजा अर्चना ही सार्थक होती है बाकि कुछ भी साथ नहीं जाता है व्यक्ति खाली हाथ आता है और खाली हाथ ही चला जाता है भगवान का स्मरण , भक्ति भाव, ईश्वर का नाम, पूजा अर्चना हवन पूजन एवं ऐसे धार्मिक कार्यों में रुचि रखने के कर्म ही व्यक्ति के साथ जाते हैं कहा भी हैं । *कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहु पारा जैसे भजनों और *अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो ,कि दर पे सुदामा करीब आ गया है, देखी सुदामा की दीन दशा करुणा करके करुणानिधि रोए, पानी परात को हाथ छूयो नहीं नैनन के जल सों पग धोए* जैसे भजनों पर बड़े - बूढ़े, जवान -युवा , महिला -पुरुष सभी एक साथ पांडाल में खड़े होकर सजीव झांकी के चित्रण एवं भजन पर नाचने लग गए एवं कथा में माहौल पूर्ण रूप से भक्तिमय हो गया । इसी के साथ भक्तों द्वारा मंगलवार को 151 किलो दूध की खीर बनाकर प्रासाद वितरण किया गया ।इसी के साथ पिछले सात दिनों से चल रहे विशाल नो कुण्डीय रुद्र महायज्ञ की पूर्णाहुति एवं हनुमान जी की मूर्ति स्थापना कार्यक्रम विशाल प्रभात फेरियों का संगम भी बुधवार को होगा ।