भीलवाड़ा (मदनलाल वैष्णव)। जिले में मानसून की शुरुआत में लगातार अच्छी बारिश होने से किसानों ने खरीफ की फसल की बुवाई समय पर कर दी थी और अच्छी पैदावार की उम्मीद से उत्साहित थे। हालांकि लगातार बरसात से कई किसान फसल बोने से वंचित रहे गये थे। लेकिन अब पिछले कई दिनों से बारिश पूरी तरह से थमी हुई है, जिससे खेत सूखने लगे हैं और किसानों की उम्मीदें टूटती नजर आ रही हैं।
गांवों में अधिकांश क्षेत्रों में बारिश न होने से खेतों में बोई गई फसलें सूखने लगी हैं। इससे किसानों के सामने संकट की स्थिति पैदा हो गई है। अगर जल्द ही बारिश नहीं हुई तो फसलों का पूरी तरह से खराब हो जाना तय है और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बारिश की कमी को देखते हुए किसानों ने वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। कई किसानों ने फव्वारे और अन्य साधनों से सिंचाई की व्यवस्था करनी शुरू कर दी है, ताकि फसल को किसी तरह बचाया जा सके। खासकर मक्का की फसल के सूखने का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि यह फसल सामान्यतः वर्षा आधारित होती है और इसमें अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं होती।
किसानों का कहना है कि उन्होंने महंगे दामों पर बीज खरीदकर बुवाई की थी और अब फसल खराब हो रही है तो वे मानसिक और आर्थिक दोनों तरह के दबाव में आ गए हैं। यदि फसल तैयार नहीं हुई तो पशुओं के चारे की भी भारी किल्लत हो सकती है, क्योंकि खरीफ की यह फसल पशुओं के लिए अच्छा और सस्ता चारा मानी जाती है।