शान और परंपरा बन गई है भीलवाड़ा की कोड़ामार होली

Update: 2025-03-14 06:50 GMT

भीलवाड़ा  विजय । भीलवाड़ा में 200 सालों से चली आ रही परंपरा को जीनगर समाज ने जीवित रखा हुआ है। इस परंपरा के तहत होली के 13 वें दिन   जीनगर समाज   कोड़ामार होली खेलता   है।   जिसमें शहर के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले जीनगर समाज के लोग  ढोल-नगाड़ों के साथ गुलमंडी सर्राफा बाजार में पहुंचने के बाद जमकर होली खेली खेलते हैं।

बता दें कि गुलमंडी क्षेत्र स्थित सर्राफा बाजार में पिछले 200 साल से रंग तेरस के दिन कोड़ामार होली खेली जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और देवर और भाभी के अटूट रिश्ते को दर्शाना है। इस परंपरा में भीलवाड़ा जिले और शहर के विभिन्न स्थानों से जीनगर समाज की महिलाएं ढोल नगाड़ों के साथ सर्राफा बाजार पहुंचती हैं, जहां समाजबंधु उनका हंसी ठिठोली के साथ स्वागत करते हैं. लगभग 200 वर्ष पूर्व स्थानीय जीनगर समाज के बुजुर्गों ने रंग तेरस पर कोड़ा मार होली के आयोजन को प्रारम्भ किया। तब से यह परंपरा बदस्तूर निभाई जा रही है। भीलवाड़ा की कोड़ामार होली यहां की शान और परंपरा बन गई है।

कोड़ा मार होली में तीन कड़ाव में रंग का पानी डाला जाता हैं। सूती वस्त्रों से महिलाएं कोड़ा बनाती हैं और बाद में तीन घंटों तक खेल तीन बार खेला जाता है और अंत में कड़ाव पर जिसका कब्जा हो जाता हैं, वह इस खेल का विजेता बन जाता हैं। मनोरंजन के हिसाब से खेले जाने वाली इस होली का पूरी जीनगर समाज को साल भर इंतजार रहता हैं. परम्परा के तहत पुरुष कड़ाव में भरा रंग महिलाओं पर डालते हैं और उससे बचने के लिए महिलाएं कोड़े से प्रहार करती हैं।

Tags:    

Similar News