गहन पुनरीक्षण अभियान में बीएलओ पर बढ़ते दबाव पर शैक्षिक महासंघ की गंभीर चिंता, आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग*
भगवानपूरा ( कैलाश शर्मा ) अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) ने विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर्स के ऊपर बढ़ते कार्य-दबाव, तकनीकी अव्यवस्था और प्रशासनिक दवाब को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
संगठन के अखिल भारतीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि बीएलओ को लगातार 16–18 घंटे फील्ड और पोर्टल कार्य करना पड़ रहा है, जबकि ऐप और पोर्टल के बार-बार क्रैश होने, नेटवर्क के अभाव तथा तकनीकी सहायता न मिलने से काम और भी कठिन हो गया है। उन्होंने बताया कि कई जिलों में अधिकारियों द्वारा धमकीपूर्ण भाषा, नोटिस, वेतन रोकने की चेतावनियाँ और अपमानजनक व्यवहार की शिकायतें मिली हैं, जिसने BLO शिक्षकों में भारी मानसिक तनाव पैदा किया है। कुछ राज्यों में आत्महत्या जैसी दुखद घटनाएँ भी सामने आई हैं, जो इस स्थिति की गंभीरता और मानवीय पक्ष की ओर स्पष्ट संकेत करती हैं।
महासंघ की महामंत्री प्रो. गीता भट्ट ने कहा कि बीएलओ को आवश्यक संसाधन, तकनीकी प्रशिक्षण और सहयोगी स्टाफ उपलब्ध न होने के कारण उन्हें अपने निजी संसाधनों से कार्य पूरा करना पड़ रहा है। दूरस्थ, पहाड़ी और मरुस्थलीय क्षेत्रों में नेटवर्क की अनुपलब्धता के चलते ऑनलाइन सत्यापन और डेटा अपलोड लगभग असंभव हो जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि 20 वर्ष पुराने दस्तावेज़ मांगने पर जनता में भ्रम और असहयोग की स्थिति है, जिसके कारण कई बार बीएलओ को अभद्रता और तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। आयोग द्वारा इस गहन सर्वे की पर्याप्त जानकारी आम जनता तक न पहुँच पाने से यह समस्या और बढ़ गई है।
महासंघ ने भारत निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि पुनरीक्षण कार्य की अंतिम तिथि को पर्याप्त आगे बढ़ाया जाए, ताकि बीएलओ बिना दबाव के गुणवत्तापूर्ण कार्य कर सकें। महासंघ ने इस कार्य में दबाव के कारण असामयिक मृत्यु या आत्महत्या करने वाले BLO शिक्षकों के परिवारों को ₹1 करोड़ का अनुग्रह मुआवजा और एक आश्रित को सरकारी सेवा देने, तथा इन सभी मामलों की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की माँग की है। साथ ही, प्रत्येक बूथ और ब्लॉक स्तर पर तकनीकी सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर या बीएलओ सहयोगी उपलब्ध कराने, बीएलओ को 5G नेटवर्क, टैबलेट/लैपटॉप, यात्रा भत्ता और अन्य आवश्यक संसाधन देने की आवश्यकता भी रेखांकित की गई है। महासंघ ने यह भी कहा है कि अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया जाए कि वे धमकी, दबाव या अपमानजनक भाषा का उपयोग न करें और बीएलओ के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करें।
महासंघ ने आयोग से इन सब बिंदुओं को ध्यान रखते हुए संवेदनशील और त्वरित हस्तक्षेप करने की मांग की है।
