एनपीसीआई का बड़ा फैसला: 1 अक्टूबर 2025 से यूपीआई 'कलेक्ट रिक्वेस्ट' बंद, डिजिटल धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम

Update: 2025-09-30 10:46 GMT


नई दिल्ली। देश में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन लेनदेन में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। 1 अक्टूबर 2025 से यूपीआई (UPI) पर व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) लेनदेन के लिए 'कलेक्ट रिक्वेस्ट' या 'पुल ट्रांजैक्शन' की सुविधा पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी। इस कदम का उद्देश्य ऑनलाइन धोखाधड़ी पर लगाम लगाना और यूपीआई उपयोगकर्ताओं के लिए एक सुरक्षित भुगतान प्रणाली सुनिश्चित करना है।

क्या बदलेगा और क्यों?

अब तक, यूपीआई ऐप उपयोगकर्ता किसी दूसरे व्यक्ति को पैसे भेजने के लिए रिक्वेस्ट भेज सकते थे। हालांकि, इस सुविधा का अक्सर धोखेबाजों द्वारा दुरुपयोग किया जाता था। वे नकली पेमेंट रिक्वेस्ट भेजकर भोले-भाले लोगों को झांसे में लेते थे और जैसे ही उपयोगकर्ता रिक्वेस्ट को स्वीकार करते थे, उनके बैंक खाते से पैसे कट जाते थे।

NPCI के इस नए नियम के बाद, कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से पैसे मांगने के लिए 'कलेक्ट रिक्वेस्ट' नहीं भेज पाएगा। इसके बजाय, अब पैसे भेजने की शुरुआत हमेशा पैसा भेजने वाला व्यक्ति ही करेगा।

मुख्य बातें:

P2P लेनदेन पर असर: यह बदलाव सिर्फ व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) लेनदेन पर लागू होगा।

मर्चेंट लेनदेन जारी रहेगा: व्यापारियों (मर्चेंट) के लिए 'कलेक्ट रिक्वेस्ट' की सुविधा पहले की तरह ही जारी रहेगी। यानी, जब आप किसी ऑनलाइन शॉपिंग ऐप पर खरीदारी करते हैं, तो आपको पेमेंट रिक्वेस्ट मिलती रहेगी।

अन्य भुगतान के तरीके: 'कलेक्ट रिक्वेस्ट' के बंद होने के बाद भी, आप क्यूआर कोड स्कैन करके, यूपीआई आईडी डालकर, या मोबाइल नंबर के जरिए यूपीआई से पैसे भेज सकते हैं।

सुरक्षा बढ़ाना लक्ष्य: इस फैसले को यूपीआई नेटवर्क को धोखाधड़ी से बचाने और उपयोगकर्ताओं का भरोसा बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

कैसे बचें धोखाधड़ी से?

इस नए नियम से सुरक्षा बढ़ेगी, लेकिन ऑनलाइन लेनदेन में सावधानी बरतना अभी भी महत्वपूर्ण है। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

किसी भी संदिग्ध लिंक या रिक्वेस्ट पर क्लिक न करें।

अपना यूपीआई पिन कभी भी किसी के साथ साझा न करें।

लेनदेन पूरा करने से पहले प्राप्तकर्ता का नाम और विवरण ध्यान से जांच लें।

यदि कोई धोखाधड़ी होती है, तो तुरंत अपने बैंक और साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।

Similar News