विपक्ष ने किया जयशंकर के बयान का विरोध, भड़के सभापति जगदीप धनखड़, बोले- हमारा आचरण संस्था को कमजोर कर रहा

By :  vijay
Update: 2024-12-04 15:32 GMT

राज्यसभा में बुधवार को भारत-चीन के रिश्तों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बयान दिया। विदेश मंत्री के बयान का विपक्ष ने विरोध किया और स्पष्टीकरण देने की बात कही। इस पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति और सभापति जगदीप धनखड़ भड़क गए। उन्होंने विपक्षी सांसदों से दो टूक कहा कि हमारा आचरण संस्था को गंभीर रूप से कमजोर कर रहा है।

उन्होंने कहा कि मैंने बार-बार सदस्यों को कहा है कि पूरे देश की नजर हम पर है। हमारा व्यवहार संस्था को गंभीर रूप से कमजोर कर रहा है। जब मैं हर बार अभद्र व्यवहार और जो बॉडी लैंग्वेज देखता हूं, उस पर कुछ कहता हूं तो मुझे इससे कोई तारीफ नहीं मिलती। मगर मैं सदन की गरिमा को बहाल करने के लिए ऐसा करता हूं।


 सभापति ने कहा कि मैं चाहता हूं कि विपक्षी सदस्य भी अपना योगदान दें और नियमों पर भरोसा रखें। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया सदन के बाहर ही आपस में बातचीत करें। आम सहमति बनाएं। सुरक्षा और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर हमें अनुकरणीय आचरण दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री का बयान व्यापक है। इसके स्पष्टीकरण की कोई जरूरत नहीं है।

इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ एलएसी पर कुछ हिस्से को लेकर असहमति है, जिसे दूर करने के लिए भारत और चीन समय-समय पर बातचीत करते हैं। गलवां घाटी में जून 2020 में हुई झड़प की घटना का भारत-चीन के रिश्तों पर असर पड़ा था। यह 45 वर्षों में पहली बार सीमा पर सैनिकों की जान जाने का मसला नहीं था, बल्कि इसके चलते एलएसी के दोनों तरफ भारी मात्रा में हथियारों की तैनाती हुई थी। अब चरण-दर-चरण प्रक्रिया के माध्यम से पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी का काम संपन्न हो गया है, जो अभी देपसांग और डेमचोक में पूरी तरह संपन्न होना है। जयशंकर ने यह भी कहा कि दोनों देशों के संबंध एलएसी की मर्यादा का सख्ती से सम्मान करने और समझौतों का पालन करने पर निर्भर होंगे।

उन्होंने कहा कि हमारे संबंध कई क्षेत्रों में आगे बढ़े हैं, लेकिन हाल की घटनाओं से स्पष्ट रूप से नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं। हम स्पष्ट हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना हमारे संबंधों के विकास की बुनियादी शर्त है। चीन के साथ आगे के रिश्तों पर जयशंकर ने कहा कि मुद्दों के समाधान तथा संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति जरूरी है। उन्होंने अपनी और चीनी समकक्षों की मुलाकातों को लेकर राज्यसभा को जानकारी दी।

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