नौसेना चीफ बोले- परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल युक्त पनडुब्बी देश की बड़ी ताकत, पहला SSN हासिल करने पर भी काम

By :  vijay
Update: 2024-12-04 15:38 GMT

भारत के नौसेना प्रमुख, एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने बुधवार को कहा कि परमाणु शक्ति से संचालित बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन (एसएसबीएनएस) भारत के परमाणु त्रैतीयक का तीसरा भाग प्रदान करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगली एसएसबीएन को 'कुछ महीनों' में नौसेना में शामिल किया जाएगा।

'हमारी परमाणु नीति 'पहले उपयोग नहीं' की है'

एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा, हमारी परमाणु नीति 'पहले उपयोग नहीं' की है। इसलिए सरकार ने परमाणु त्रैतीयक के बारे में फैसला लिया। एसएसबीएनएस परमाणु त्रैतीयक के तीसरे हिस्से के रूप में महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये पानी के नीचे रहते हैं और इन्हें आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता।" उन्होंने बताया कि अगस्त में दूसरी SSBN को नौसेना में शामिल किया गया था और वह विभिन्न परीक्षणों से गुजर रही है, जबकि अगली सबमरीन जल्द ही सेवा में आ जाएगी।

'सेना अब मानवीय और स्वचालित प्रणालियों का चाहती है मिश्रण'

नौसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि सेना अब मानवीय और स्वचालित प्रणालियों का उचित मिश्रण चाहती है। हम एक ऐसी सेना की दिशा में बढ़ रहे हैं जो और अधिक शक्तिशाली और घातक हो, जिसमें नई तकनीक का उपयोग किया जाएगा। हम मानव और बिना मानव वाले प्रणालियों का एक संतुलित मिश्रण चाहते हैं, क्योंकि बिना मानव के सिस्टम ज्यादातर समय सस्ते होते हैं और इसमें मानव जीवन का जोखिम कम होता है।

'भारत के पास एक दीर्घकालिक समुद्री क्षमता दृष्टिकोण योजना'

उन्होंने बताया कि अगले 10 वर्षों में नौसेना के बड़े जहाजों का औसत वजन 6000 टन तक पहुंच जाएगा और इन जहाजों की उम्र कम हो जाएगी। नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारत के पास एक दीर्घकालिक समुद्री क्षमता दृष्टिकोण योजना है, जो यह तय करती है कि अगले 10-15 वर्षों में भारत को किस दिशा में जाना है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत के 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण योजना के तहत 12 पनडुब्बियों का निर्माण भारत में विदेशी सहायता से किया जा रहा है। इसके बाद अगले 12 पनडुब्बियां पूरी तरह भारतीय डिजाइन और भारतीय शिपयार्ड में बनाई जाएंगी। इसके अतिरिक्त, भारत ने परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों की योजना भी बनाई है, जिसमें अगले कुछ वर्षों में परमाणु-शक्ति संचालित पनडुब्बियां नौसेना में शामिल होंगी, जो भारत के सुरक्षा परिदृश्य को मजबूत करेंगी।

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