संसदीय समिति को दी कनाडा और चीन संबंधों की जानकारी, मिस्री बोले- ट्रूडो सरकार की नीतियां अमित्रतापूर्ण
विदेश मंत्रालय ने बुधवार को चीन और कनाडा को लेकर संसदीय समिति के साथ अहम जानकारियां साझा कीं। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि कनाडा के साथ संबंधों में आई गिरावट के लिए उत्तरी अमेरिकी देश की ट्रूडो सरकार की अमित्रतापूर्ण नीतियां जिम्मेदार हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि लद्दाख में चीन के साथ एलएसी से पीछे हटने की गतिविधि आगे बढ़ी हैं। इसे लेकर संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी जानकारी साझा की है।
खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा की ओर से भारत पर लगाए गए आरोपों का भी विदेश सचिव ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कनाडा सरकार आरोपों को लेकर कोई भी सबूत नहीं पेश कर सकी। सूत्रों के मुताबिक सांसदों को यह भी जानकारी दी गई कि कुछ खालिस्तानी अन्य देशों में सक्रिय हैं। मगर स्थानीय सरकारें उनको संरक्षण नहीं दे रही हैं। जबकि कनाडा में स्थिति इसके उलट है। यहां खालिस्तानियों को भारत के खिलाफ अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए सुरक्षित जगह मिलती है।
विदेश सचिव ने कहा कि भारत ने कनाडा के आरोपों को बेतुका और प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया। साथ ही कनाडा में चरमपंथी और भारत विरोधी तत्वों को जगह देने की आलोचना की। कुछ सांसदों ने बांग्लादेश की स्थिति को लेकर भी जानकारी मांगी। समिति सदस्यों ने मंत्रालय की ओर से साझा की गई जानकारी की सराहना की।
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ एलएसी पर कुछ हिस्से को लेकर असहमति है, जिसे दूर करने के लिए भारत और चीन समय-समय पर बातचीत करते हैं। गलवां घाटी में जून 2020 में हुई झड़प की घटना का भारत-चीन के रिश्तों पर असर पड़ा था। यह 45 वर्षों में पहली बार सीमा पर सैनिकों की जान जाने का मसला नहीं था, बल्कि इसके चलते एलएसी के दोनों तरफ भारी मात्रा में हथियारों की तैनाती हुई थी। अब चरण-दर-चरण प्रक्रिया के माध्यम से पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी का काम संपन्न हो गया है, जो अभी देपसांग और डेमचोक में पूरी तरह संपन्न होना है। जयशंकर ने यह भी कहा कि दोनों देशों के संबंध एलएसी की मर्यादा का सख्ती से सम्मान करने और समझौतों का पालन करने पर निर्भर होंगे।