फार्मा से केमिकल तक: रूस के बाजार में भारत का बड़ा विस्तार, 300 उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा

Update: 2025-12-15 08:16 GMT

नई दिल्ली  भारत और रूस के बीच व्यापार को नई ऊंचाई तक ले जाने की तैयारी तेज हो गई है। रूस को निर्यात बढ़ाने के लिहाज से करीब 300 ऐसे उत्पाद चिन्हित किए गए हैं, जिनमें भारतीय कंपनियों के लिए बड़ी संभावनाएं हैं। इंजीनियरिंग सामान, फार्मा, कृषि और केमिकल जैसे क्षेत्रों में इन उत्पादों की रूसी बाजार में भारी मांग है, लेकिन मौजूदा समय में इस मांग की पूर्ति पूरी तरह नहीं हो पा रही है। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखे हुए हैं।

वर्तमान स्थिति की बात करें तो भारत का इन उत्पादों का रूस को निर्यात केवल 1.7 अरब डॉलर है, जबकि रूस का कुल आयात 37.4 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। यह बड़ा अंतर साफ तौर पर बताता है कि भारतीय निर्यातकों के पास रूस में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का व्यापक अवसर मौजूद है। सरकार का मानना है कि इन क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाकर न केवल व्यापार को संतुलित किया जा सकता है, बल्कि रूस के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को भी कम किया जा सकता है।

व्यापार घाटा घटाने का मौका

एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, भारत के लिए यह अंतर पूरक निर्यात का बड़ा अवसर है। फिलहाल भारत और रूस के बीच व्यापार घाटा करीब 59 अरब डॉलर का है। यदि चयनित 300 उत्पादों पर फोकस किया जाए तो यह घाटा धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। वाणिज्य मंत्रालय ने रूस की मांग और भारत की आपूर्ति क्षमता का गहन विश्लेषण करने के बाद इन उत्पादों की पहचान की है। इसका मकसद भारतीय निर्यातकों को स्पष्ट दिशा देना और रूस के बाजार में उनकी पकड़ मजबूत करना है। 

रूस से आयात में तेज उछाल

पिछले कुछ वर्षों में रूस से भारत का आयात तेजी से बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में जहां रूस से भारत का आयात 5.94 अरब डॉलर था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 64.24 अरब डॉलर हो गया। यानी चार साल में आयात दस गुना से भी ज्यादा बढ़ गया। इस तेजी से बढ़ते आयात ने व्यापार संतुलन को भारत के पक्ष में कमजोर किया है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार अब निर्यात बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है।

केमिकल और फार्मा में बड़ी संभावना

केमिकल और प्लास्टिक सेक्टर में रूस की कुल मांग करीब 2.06 अरब डॉलर की है, लेकिन भारत का योगदान इसमें केवल 13.5 करोड़ डॉलर का है। इसी तरह फार्मा सेक्टर भी भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखता है। भारत फिलहाल रूस को 54.6 करोड़ डॉलर की फार्मा आपूर्ति करता है, जबकि रूस का कुल फार्मा आयात बिल 9.7 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। ऐसे में जेनेरिक दवाइयों और एपीआई यानी सक्रिय फार्मा सामग्री में भारत के लिए बड़ा विस्तार संभव है।

श्रम प्रधान उद्योगों को मिलेगा फायदा

उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों के अलावा भारत के श्रम प्रधान उद्योगों में भी रूस के बाजार में अच्छी संभावनाएं हैं। वस्त्र, परिधान, चमड़े के सामान, हस्तशिल्प, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद और हल्का इंजीनियरिंग सामान जैसे क्षेत्र रूस के बड़े उपभोक्ता आधार को ध्यान में रखते हुए अहम बनते हैं। भारत की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता इन क्षेत्रों में उसे मजबूत स्थिति में लाती है। सरकार का मानना है कि सही नीति और निर्यात प्रोत्साहन के जरिए भारतीय कंपनियां रूस में अपनी मौजूदगी को तेजी से बढ़ा सकती हैं।

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