सहारा निवेशकों के लिए राहत भरी खबर: सेबी 5,000 करोड़ रुपये का रिफंड शुरू करेगी

Update: 2025-09-12 17:29 GMT

नई दिल्ली, : सहारा समूह के निवेशकों के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को सहारा समूह द्वारा जमा कराए गए 24,000 करोड़ रुपये में से 5,000 करोड़ रुपये निवेशकों को वितरित करने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय सहारा समूह की सहकारी समितियों में निवेश करने वाले लाखों निवेशकों के लिए उनकी फंसी हुई रकम वापस पाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले से उन निवेशकों को राहत मिलेगी, जो वर्षों से अपनी मेहनत की कमाई वापस पाने का इंतजार कर रहे हैं।



 


सुप्रीम कोर्ट का आदेश और केंद्र सरकार की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र सरकार के आग्रह पर यह महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सेबी के पास जमा सहारा समूह की राशि में से कुछ हिस्से को निवेशकों के बकाया भुगतान के लिए जारी करने की मांग की थी। यह दूसरी बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का आदेश दिया है। इससे पहले मार्च 2023 में भी कोर्ट ने सेबी को 5,000 करोड़ रुपये वितरित करने की अनुमति दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि मार्च 2023 और सितंबर 2025 के आदेशों के तहत निवेशकों को राशि वितरण की समय सीमा को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2026 तक कर दिया गया है। इससे सेबी को रिफंड प्रक्रिया को व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से पूरा करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।

सेबी की आपत्ति और कोर्ट का रुख

सेबी की ओर से पेश अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट से इस आदेश को सोमवार तक स्थगित करने की मांग की थी, ताकि वे सक्षम प्राधिकरण से निर्देश ले सकें और कोर्ट को सूचित कर सकें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को ठुकराते हुए स्पष्ट किया कि यह आदेश सहमति से पारित नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि राशि का हस्तांतरण एक सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी की देखरेख में और मार्च 2023 के आदेश में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार किया जाएगा।

यह कदम न केवल निवेशकों के हित में है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि रिफंड प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे। सुप्रीम कोर्ट की इस सख्ती से यह संदेश भी गया है कि निवेशकों की रकम को जल्द से जल्द वापस करने के लिए कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।

जनहित याचिका और निवेशकों की मांग

केंद्र सरकार ने यह आवेदन पिनाक पाणि मोहंती द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में प्रस्तुत किया था। इस याचिका में सहारा समूह की चिटफंड कंपनियों और क्रेडिट फर्मों में निवेश करने वाले जमाकर्ताओं को उनकी राशि वापस करने की मांग की गई थी। सहारा समूह की विभिन्न योजनाओं में लाखों छोटे-बड़े निवेशकों ने अपनी बचत निवेश की थी, और वर्षों से उनकी रकम फंसी होने के कारण उनमें निराशा और असुरक्षा की भावना थी। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश इन निवेशकों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।

निवेशकों को रिफंड कैसे मिलेगा?

यदि आप भी सहारा समूह की किसी योजना में निवेशक हैं और आपकी रकम फंसी हुई है, तो आप इसे वापस पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ऑनलाइन पोर्टल mocrefund.crcs.gov.in का उपयोग कर सकते हैं। इस पोर्टल को विशेष रूप से सहारा निवेशकों के लिए रिफंड प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

रिफंड स्टेटस चेक करने की प्रक्रिया:

पोर्टल पर जाएं: सबसे पहले mocrefund.crcs.gov.in वेबसाइट पर जाएं।

लॉगिन करें: होमपेज पर "Depositor Login" विकल्प पर क्लिक करें।

विवरण दर्ज करें: अपने आधार नंबर और सहारा रसीद नंबर (Sahara Receipt Number) को दर्ज करें।

OTP के साथ लॉगिन: अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर प्राप्त OTP का उपयोग करके लॉगिन करें।

रिफंड स्टेटस देखें: लॉगिन करने के बाद आपकी स्क्रीन पर रिफंड की स्थिति दिखाई देगी।

यदि आपके द्वारा दी गई जानकारी में कोई त्रुटि है, तो पोर्टल पर ही आवेदन फॉर्म को अपडेट करने का विकल्प उपलब्ध है। इसके अलावा, रिफंड का भुगतान बैंक ट्रांसफर या NEFT जैसे तरीकों से किया जाएगा, और इसकी जानकारी भी पोर्टल पर देखी जा सकती है।

निवेशकों के लिए राहत और भविष्य की संभावनाएं

सहारा समूह के निवेशकों के लिए यह निर्णय एक महत्वपूर्ण राहत लेकर आया है। वर्षों से फंसी रकम के कारण कई निवेशकों को आर्थिक और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा था। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश और सेबी की ओर से रिफंड प्रक्रिया को तेज करने के प्रयास निवेशकों के लिए एक नई उम्मीद की किरण हैं।

हालांकि, यह प्रक्रिया जटिल है और इसमें समय लग सकता है, क्योंकि लाखों निवेशकों के दावों को सत्यापित करना और राशि वितरित करना एक बड़ा कार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति करके यह सुनिश्चित किया है कि यह कार्य पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से हो।

 समूह के निवेशकों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह ताजा फैसला एक ऐतिहासिक कदम है। 5,000 करोड़ रुपये के वितरण की अनुमति और रिफंड प्रक्रिया की समय सीमा को बढ़ाने से निवेशकों को अपनी रकम वापस मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। केंद्र सरकार और सेबी द्वारा शुरू किया गया ऑनलाइन पोर्टल इस प्रक्रिया को और भी आसान बनाता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने दावों को जल्द से जल्द पंजीकृत करें और नियमित रूप से पोर्टल पर अपनी रिफंड स्थिति की जांच करें। यह कदम न केवल निवेशकों को आर्थिक राहत प्रदान करेगा, बल्कि वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वास को भी बढ़ावा देगा

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