जम्मू। सोमवार को जम्मू-कश्मीर के जम्मू शहर में स्पेशल एनआईए कोर्ट में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के मामले में चार्जशीट दाखिल कर सकती है। एनआईए सूत्रों के अनुसार, यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल करने की 180 दिन की कानूनी समय सीमा, पहली गिरफ्तारी के बाद, पूरी होने वाली है।
पहलगाम इलाके के दो निवासी, बशीर अहमद जोथर और परवेज अहमद जोथर, 22 जून को गिरफ्तार किए गए थे। दोनों पर तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों—सुलेमान शाह, हमजा अफगानी उर्फ अफगानी और जिब्रान—को पनाह देने और लॉजिस्टिकल सपोर्ट देने का आरोप है, जिन्होंने हमला अंजाम दिया था। चार्जशीट दाखिल करने की 180 दिन की समय सीमा 18 दिसंबर को समाप्त हो रही है और एनआईए इसे तय समय सीमा के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत कर रही है।
जांच के दौरान एनआईए ने शुरुआती 90 दिन की अवधि के अलावा अतिरिक्त 45 दिन का समय भी मांगा था, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था। चार्जशीट में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उसके प्रॉक्सी, द रेजिस्टेंस फ्रंट, का नाम शामिल होने की संभावना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही संसद में पुष्टि की थी कि हमले में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादियों की संलिप्तता थी।
एनआईए ने अब तक 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की है, जिनमें पर्यटक, टट्टू मालिक, फोटोग्राफर, दुकानदार और कर्मचारी शामिल हैं। जांच में फोरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल डेटा विश्लेषण और संदिग्धों की सत्यापन प्रक्रिया जारी है।
हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सशस्त्र बलों को कार्रवाई की पूरी छूट दी। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में लाहौर के पास मुरीदके, बहावलपुर, कोटली और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुजफ़्फराबाद में नौ आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया। जब तक पाकिस्तान ने स्थिति और बिगाड़ने के लिए नागरिक और सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं किया, भारतीय सेना ने सीमा पार कर सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं किया। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में 11 सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचाया।
