शांति विधेयक को संसद की मंजूरी, प्रधानमंत्री मोदी ने बताया भारत के लिए परिवर्तनकारी क्षण

Update: 2025-12-18 18:02 GMT

नई दिल्ली  |प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि संसद से शांति विधेयक (परमाणु ऊर्जा विधेयक) पारित होना भारत के प्रौद्योगिकी परिदृश्य के लिए एक परिवर्तनकारी क्षण है। उन्होंने कहा कि इससे निजी क्षेत्र और युवाओं के लिए अनेक अवसर खुलते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'भारत में निवेश करने, नवाचार करने और निर्माण करने का यह आदर्श समय है।' सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI), 2025 को संसद को दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई। अब सख्ती से नियंत्रित परमाणु ऊर्जा क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा।


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'इसके पारित होने में सहयोग देने वाले सांसदों के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को सुरक्षित रूप से संचालित करने से लेकर हरित विनिर्माण को सक्षम बनाने तक, यह देश और दुनिया के लिए स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को निर्णायक बढ़ावा देता है।'

सरकार ने किया निजी क्षेत्र को शामिल करने के फैसले का बचाव

संसद में परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, 'परमाणु ऊर्जा 24 घंटे बिजली देने वाला सबसे भरोसेमंद और स्वच्छ स्रोत है। भारत ने 2025 तक 8.9 गीगावाट की क्षमता हासिल की है, जिसे 2047 तक 100 गीगावाट तक पाने का लक्ष्य है। भविष्य में कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) की बढ़ती जरूरतों के लिए परमाणु ऊर्जा अनिवार्य होगी।'

उन्होंने निजी क्षेत्र को शामिल करने के फैसले का बचाव करते हुए अंतरिक्ष क्षेत्र का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि निजी भागीदारी और एफडीआई की अनुमति मिलने से अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 अरब डॉलर तक पहुंची और 300 से अधिक स्टार्टअप्स काम कर रहे। वैसी क्रांति अब परमाणु क्षेत्र में आएगी। सरकार ने परमाणु ऊर्जा विभाग का बजट 2014 के मुकाबले 3 गुना बढ़ाकर 37,483 करोड़ रुपये कर दिया है।

राष्ट्रीय हित में नहीं: जयराम रमेश

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने फ्रांस का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां परमाणु ऊर्जा पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में है। रमेश ने विदेशी तकनीक के बजाय भारत के स्वदेशी 700 मेगावाट के रिएक्टरों को मानक बनाने और देश के विशाल थोरियम भंडार के उपयोग पर जोर दिया।

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